श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 28 नवम्बर 2020। गांव गुसाईंसर बड़ा की 83 वर्षीय आशीदेवी सारस्वत ने अपने पोते परमेश्वर और पवन का विवाह नई सोच और नए रिवाज से करवाया और गांव में कुरीतियों को पकड़ कर बैठे रहने वालों के लिए एक मिसाल पेश की है। आशीदेवी ने कहा कि किसी के घर की बेटियां आपका घर रोशन कर दें इससे बड़ा कोई दहेज नहीं है। इस आधुनिक विचार को अपनाते हुए उन्होंने अपने पुत्र भंवरलाल सारस्वत को पौत्रों का विवाह बिना दहेज कर समाज में ये पहल करने की बात कही। आशीदेवी के छोटे पुत्र ताराचंद सारस्वत ने बताया कि माता से प्रेरणा लेकर इस कुप्रथा को बंद करने की समाज में पहल को पूरे परिवार ने उचित माना और दिल खोल कर समर्थन दिया। परमेश्वर व पवन के ससुर शेरपुर निवासी श्याम मोट को दहेज के सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़ दिए जाने के कारण बहुत मुश्किल से समझाईश की गई। पर उनके मान जाने पर उन्होंने अपनी दोनों पुत्रियां माया और द्रोपदी का विवाह परमेश्वर व पवन से सम्पन्न करवाया। विवाह एक नारियल व एक सौ रूपए में सम्पन्न किया गया। दोनों दुल्हों के पिता भंवरलाल ने कहा कि हम युवाओं से अपील करते है कि वे समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ाने के मार्ग पर अग्रसर होवें। गुसाईंसर बड़ा के सरपंच सत्यनारायण सारस्वत ने कहा कि गांव में ही नहीं पूरे समाज के लिए ये एक मिसाल है। महिला उत्पीड़न के मामलों में दहेज प्रमुख कारण माना जाता है। ऐसे में कोई प्रतिष्ठित परिवार ऐसी पहल करें तो यह सराहनीय कदम है। सारस्वत ने बताया कि गांव में रहने वाले दयाराम भाकर ने भी अपने सरकारी नौकरी लगे हुए पुत्र अमित भाकर का विवाह बिना दहेज तारानगर में सम्पन्न करवाया। सारस्वत ने दोनों परिवारों को शुभकामनाएं दी।