श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 31 अगस्त 2022। श्री गणेशाय नम:🚩
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
📜 आज का पंचांग 📜
☀ 31 – Aug – 2022
☀ Sri Dungargarh, India
☀ पंचांग
🔅 तिथि चतुर्थी 03:25 PM
🔅 नक्षत्र चित्रा +00:13 AM
🔅 करण :
विष्टि 03:25 PM
बव 03:25 PM
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग शुक्ल 10:47 PM
🔅 वार बुधवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 06:11 AM
🔅 चन्द्रोदय 09:39 AM
🔅 चन्द्र राशि कन्या
🔅 चन्द्र वास दक्षिण
🔅 सूर्यास्त 06:56 PM
🔅 चन्द्रास्त 09:23 PM
🔅 ऋतु शरद
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1944 शुभकृत
🔅 कलि सम्वत 5124
🔅 दिन काल 12:45 PM
🔅 विक्रम सम्वत 2079
🔅 मास अमांत भाद्रपद
🔅 मास पूर्णिमांत भाद्रपद
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित कोई नहीं
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 12:08 PM – 12:59 PM
🔅 कंटक 05:14 PM – 06:05 PM
🔅 यमघण्ट 08:44 AM – 09:35 AM
🔅 राहु काल 12:34 PM – 02:09 PM
🔅 कुलिक 12:08 PM – 12:59 PM
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 07:02 AM – 07:53 AM
🔅 यमगण्ड 07:47 AM – 09:22 AM
🔅 गुलिक काल 10:58 AM – 12:34 PM
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल उत्तर
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन
📜 चोघडिया 📜
🔅लाभ 06:11:36 – 07:47:14
🔅अमृत 07:47:14 – 09:22:53
🔅काल 09:22:53 – 10:58:32
🔅शुभ 10:58:32 – 12:34:11
🔅रोग 12:34:11 – 14:09:49
🔅उद्वेग 14:09:49 – 15:45:28
🔅चल 15:45:28 – 17:21:07
🔅लाभ 17:21:07 – 18:56:46
🔅उद्वेग 18:56:46 – 20:21:10
🔅शुभ 20:21:10 – 21:45:35
🔅अमृत 21:45:35 – 23:10:00
🔅चल 23:10:00 – 24:34:25
🔅रोग 24:34:25 – 25:58:50
🔅काल 25:58:50 – 27:23:15
🔅लाभ 27:23:15 – 28:47:40
🔅उद्वेग 28:47:40 – 30:12:05
❄️ लग्न तालिका ❄️
🔅 सिंह स्थिर
शुरू: 05:12 AM समाप्त: 07:29 AM
🔅 कन्या द्विस्वाभाव
शुरू: 07:29 AM समाप्त: 09:46 AM
🔅 तुला चर
शुरू: 09:46 AM समाप्त: 12:05 PM
🔅 वृश्चिक स्थिर
शुरू: 12:05 PM समाप्त: 02:24 PM
🔅 धनु द्विस्वाभाव
शुरू: 02:24 PM समाप्त: 04:28 PM
🔅 मकर चर
शुरू: 04:28 PM समाप्त: 06:11 PM
🔅 कुम्भ स्थिर
शुरू: 06:11 PM समाप्त: 07:39 PM
🔅 मीन द्विस्वाभाव
शुरू: 07:39 PM समाप्त: 09:05 PM
🔅 मेष चर
शुरू: 09:05 PM समाप्त: 10:41 PM
🔅 वृषभ स्थिर
शुरू: 10:41 PM समाप्त: अगले दिन 00:37 AM
🔅 मिथुन द्विस्वाभाव
शुरू: अगले दिन 00:37 AM समाप्त: अगले दिन 02:52 AM
🔅 कर्क चर
शुरू: अगले दिन 02:52 AM समाप्त: अगले दिन 05:12 AM
भगवान गणेश का प्राकट्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को मध्याह्न काल में हुआ था–
नभस्ये मासि शुक्लायाम् चतुर्थ्याम् मम जन्मनि।
दूर्वाभि: नामभिः पूजां तर्पणं विधिवत् चरेत्।
गं गणपतये नमः
तबसे लेकर आजतक उनका महोत्सव मनाया जा रहा है। भाद्रपद मास का वैदिक नाम नभस्य है। प्राचीन काल में मिट्टी की मूर्ति बनाकर अनेक विधियों से भगवान गणेश की पूजा की जाती थी। आज भी उनकी विधिवत पूजा अनेक राज्यों में की जातीहै।।
कोई तीन दिन, कोई एक सप्ताह तो कोई पूर्णिमा पर्यन्त इनकी मूर्ति की आराधना करता है।
परब्रह्म परमात्मा का ही पृथ्वी पर प्रकटीकरण श्री गणेश के रूप में हुआ था। अतः श्रीगणेश अजन्मा देवता हैं। महाशक्ति ब्रह्मरूपा गौरीदेवी के द्वारा उनका प्रकटीकरण किया गया था। यही कारण है कि तृतीया तिथि की देवी गौरी और चतुर्थी तिथि के देव श्रीगणेश हैं। माता और पुत्र दोनों का सान्निध्य है।एकबार अपने सौंदर्यपर गर्वित हो चन्द्रमा ने लंबोदर गणेश का मजाक उड़ाया था। क्रुद्ध गणेशजीने चन्द्रमा को शाप दिया मेरी तिथि को तुम्हारा अदर्शन हो जाएगा। जब चन्द्रमा ने प्रार्थना की कि-हे वरद!मुझे क्षमाकरें तब गणेश जी ने उन्हें कहा- जाईये अदर्शन तो नहीं होगा पर अपवाद होगा। जो भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को तुम्हारा दर्शन करेगा वह कलंक का भागी बनेगा। अतः आजका चन्द्रमा निषिद्ध दर्शन होता है। दूसरों से कड़वे और अपशब्दवचन सुनकर व्यक्ति कलंक से मुक्त हो पाता है।
पण्डित विष्णुदत्त शास्त्री
8290814026