


श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 17 अप्रेल 2020। फलौदी, मोहनगढ़ आदि जगहों से पंजाब व हरियाणा की और जा रहे श्रमिकों को आखिरकर गांव मोमासर में शरण मिल गई है एवं अब यहां पर चिकित्सा विभाग द्वारा आए गए श्रमिकों की स्क्रिनिंग करवा कर गांव के स्कूल में क्वारेंटाईन किया गया है। इस प्रकरण में जहां रतनगढ प्रशासन का अमानवीय रूख देखने को मिला है वहीं श्रीडूंगरगढ़ प्रशासन ने मानवीय आधार पर गांव मोमासर के भामाशाहों के माध्यम से रहने खाने की व्यवस्था भी दी है। दो ट्रकों में भरे हुए इन श्रमिकों की गिनती पूरी हो गई है एवं इनकी कुल संख्या 204 सामने आई है। तीरपाल लगा कर बंद किए गए दो ट्रकों में दो सौ से अधिक लोगों द्वारा सैंकडों किलोमीटर का सफर करने का अनुमान लगाना भी मुश्किल है एवं इन मुश्किलों का सामना इन श्रमिकों को करना पड़ा है। विदित रहे कि श्रीडूंगरगढ़ एवं रतनगढ़ प्रशासन के मध्य शुक्रवार को उस समय ठन गई जब रतनगढ़ एसडीएम गौरव सैनी जिला सील नाकाबंदी कितासर पर पहुंचें एवं इन श्रमिकों को श्रीडूंगरगढ़ की और से जाने की बात कहते हुए इनके बीकानेर जिला प्रवेश की जिद की। लेकिन श्रीडूंगरगढ़ उपखण्ड अधिकारी ने नाकाबंदी पर तैनात पुलिसकर्मियों से वार्ता कर यह कन्फर्म किया कि श्रीडूंगरगढ़ की और से किसी भी ट्रक में एक भी श्रमिक नहीं गया। ऐसे में जब श्रीडूंगरगढ़ प्रशासन ने इन श्रमिकों को जिला प्रवेश नहीं दिया तो रतनगढ़ प्रशासन ने इन्हे लाछड़सर के माध्यम से ग्रामीण सम्पर्क सडक होते हुए श्रीडूंगरगढ़ के गांव मोमासर में छोड़ दिया एवं दोनो ट्रक चालक इन ग्रामीणों को मोमासर-आडसर सडक मार्ग पर उतार कर भाग छुटे। बाद में ग्रामीणों की सूचना पर श्रीडूंगरगढ़ प्रशासन ने इन श्रमिकों को संभाला है एवं इनके क्वारेंटाईन, भोजन, आवास आदि व्यवस्थाएं गांव मोमासर में ही करवाई है। गांव के स्कूल में चिकित्सा विभाग के कार्मिकों, शिक्षकों व पुलिस जवानों की नियुक्तियां भी की गई है।
डरें नहीं, सेवा करें।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। गांव मोमासर के भामाशाह, जनप्रतिनिधि, ग्रामीण एवं युवा सभी इस लाकडाउन की स्थिति में देश के साथ खड़े है एवं यहां के लोगों द्वारा ना केवल मोमासर बल्कि आस पास के 11 गांवों में दवाईयां, रोगी वाहन सेवा, सैनेटाइजर व मास्क वितरण, राशन वितरण आदि कार्य संभाल रखे है। अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध मोमासर अब इन दरबदर श्रमिकों को संभाल कर इंसानियत के क्षेत्र में भी प्रसिद्ध हो रहा है। हालांकि कई ग्रामीणों में इन बाहरी श्रमिकों के लिए डर भी व्याप्त है लेकिन डरने की आवश्यकता इसलिए नहीं है कि बडी संख्या में ऐसे श्रमिकों को पूर्व में श्रीडूंगरगढ़ के भी तीन निजी विद्यालयों में क्वारंटाईन किया जा चुका है। चिकित्सा विभाग की टीम इन लोगों पर लगातार नजर रखेगी।

