श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 9 सितंबर 2024। केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के राजस्थानी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में 7 एवं 8 सितंबर को दो दिवसीय ‘युवा राजस्थानी उच्छब’ का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के चुनिंदा युवा लेखकों ने हिस्सा लिया। श्रीडूंगरगढ़ अंचल के युवा साहित्यकार पूनम चंद गोदारा (गुसाईंसर बड़ा) ने इस आयोजन में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रथम दिवस के पहले सत्र में ‘समकालीन राजस्थानी रो युवा लेखन’ विषय पर अपना आलोचनात्मक शोधपत्र प्रस्तुत किया। गोदारा ने तीसरे सत्र में अपनी रचनाओं का काव्यपाठ भी किया।
उद्-घाटन सत्र में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक डॉ अर्जुन देव चारण एवं देव कोठारी एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति सुनीता मिश्रा के व्याख्यान हुए। डॉ अर्जुन देव चारण ने अपने उद् बोधन में राजस्थानी भाषा और युवाओं के भविष्य की बात करते हुए कहा कि आज का युवा रचनाकार राजस्थानी परंपरा एवं भाषा साहित्य का भविष्य है। हर युवा में बदलाव की क्षमता होती है। प्रोफेसर देव कोठारी ने राजस्थानी साहित्य की समृद्ध परंपरा की बात करते हुए कहा कि राजस्थानी विश्व की समृद्ध भाषाओ में से एक है लेकिन इसे संवैधानिक मान्यता न दुर्भाग्य की बात है। दूसरे दिन के समापन सत्र में प्रतिष्ठित आलोचक माधव हाड़ा, वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य आशावादी के व्याख्यान हुए। आशावादी ने कहा कि इन दो दिनों में युवा रचनाकारों के रचाव को देखकर इस बात की आश्वस्ति होती है कि राजस्थानी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है। युवा अपनी ऊर्जा और ऊरमा से राजस्थानी को समृद्ध करते रहेंगें।