श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 17 अगस्त 2022। जन्माष्टमी का पर्व 18 को मनाए या 19 अगस्त को ये सवाल कई श्रद्धालुओं द्वारा किया जा रहा है इसका समाधान श्रीडूंगरगढ़ के पंडित विष्णुदत्त शास्त्री ने बताया है। उन्होंने कहा कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जब रोहिणी नक्षत्र था तो इसी दौरान प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। ऐसे में हर साल भादो के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व 18 अगस्त और 19 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। जन्माष्टमी को मनाने वाले दो अलग-अलग संप्रदाय के लोग होते हैं, स्मार्त और वैष्णव। इनके विभिन्न मतों के कारण दो तिथियां बनती हैं। स्मार्त वह भक्त होते हैं जो गृहस्थ आश्रम में रहते हैं। यह अन्य देवी-देवताओं की जिस तरह पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं, उसी प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव भी धूमधाम से मनाते हैं। उसी प्रकार वैष्णव जो भक्त होते हैं वे अपना संपूर्ण जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित कर देते हैं। उन्होंने गुरु से दीक्षा भी ली होती है और गले में कंठी माला भी धारण करते हैं। जितने भी साधु-संत और वैरागी होते हैं, वे वैष्णव धर्म में आते हैं
इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त करने के लिए पूजा पाठ करते हैं। साथ ही बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। जन्माष्टमी की पूजा रात में की जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किसी वरदान से कम नहीं साबित होता है। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बेहद ही खास और फलदायी माना गया है। अतः सभी गृहस्थी 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएं उत्सव आप 19 अगस्त को भी मना सकते है।