श्रीडूंगरगढ टाइम्स 4 जूलाई 2020। खेती लगातार घाटे का सौदा बन रही है और सरकारों द्वारा खेती को घाटे से बचाने के लिए विभिन्न प्रयास तो किए जाते है। लेकिन इन प्रयासों में हावी रहने वाली लालफीताशाही के कारण युवाओं का खेती से मोह भंग हो रहा है और यह भविष्य के खिए खतरा है। खेती से युवाओं का मोह भंग करवाने के क्रम में एक और उदाहरण इस बार की सर्मथन मुल्य पर खरीद बन चुका है। जिसमें राजफैड की नाकामियों के कारण किसानों का हक उन्हे नहीं मिल पाएगा। विदित रहे कि सोशल डिस्टेसिंग की पालना के नाम पर सरकार ने इस बार ताबड़तोड़ खरीद केन्द्रों की स्थापना तो कर दी परन्तु राजफैड द्वारा अब तक इनकी सुचारू व्यवस्था नहीं की जा सकी। अब हालत यह हो गए है कि सरकार द्वारा खरीद साईट बंद कर दी गई है एवं केवल श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में ही 3 हजार से अधिक किसानों की गिरदावरियां आनलाईन टोकन के इंतजार में बाकी रह गई है। इसके अलावा तीन दिनों तक खरीद साईट धीमे चलने के बाद शुक्रवार शाम चार बजे अचानक साईट ही बंद कर दिए जाने के कारण क्षेत्र के आठ खरीद केन्द्रों पर करीब 40 किसानों की तुलवाई हुई उपज भी अधर में लटक गई है। इन 40 किसानों की उपज इन खरीद केन्द्रों पर तुलवा ली गई एवं खरीद ठेकेदार द्वारा विक्रय पर्ची भी काट कर दे दी गई। अब यह उपज इन खरीद केन्द्रों पर तुलवाई हुई पडी है लेकिन विक्रय पर्चियां आनलाईन नहीं होने के कारण इनका भुगतान कैसे होगा इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
खुल कर सामने आई राजफैड की नाकामी, लोगों में जबरदस्त रोष।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। इस वर्ष सर्मथन मूल्य की खरीद में राजफैड की नाकामियां खुल कर सामने आई है। राजफैड द्वारा पहले माल उठवाई समय पर नहीं होने एवं उसके बाद बारादाना उपलब्ध नहीं करवाने के कारण खरीद सुचारू रूप से चल ही नहीं पाई एवं अब जब बारदाना उपलब्ध हुआ तो साईट ही बंद कर दी गई। राजफैड की उदासीनता के चलते क्षेत्र के किसान मानसिक यातना झेल रहे है। अब श्रीडूंगरगढ क्षेत्र के सभी केन्द्रो पर खरीद बंद है जिसे तुरंत प्रभाव से प्रारम्भ करवाने की मांग लगातार किसान सहित विधायक गिरधारी महिया भी कर रहे है। राजफैड की नाकामियों का दंड किसानों को आर्थिक नुकसान के रूप में सहना पड़े इसका विरोध अब हर कोई कर रहा है। क्षेत्र के किसान नेता भी पार्टी भेद से उपर उठ कर किसानों के हकों की रक्षा के लिए जारी किए गए समस्त टोकनों की खरीद करवाने की मांग कर रहे है। किसान भी अब सुनवाई नहीं होने पर आंदोलन की राह देख रहे है।