हम तो पिंजरे के पंछी रे, हमारा दर्द ना जाने कोय.. कोई हमारा भी मंत्री होता, गांव गांव छलक रहा है किसानों का दर्द। पढ़ें फसल खराबे पर क्षेत्र की अनदेखी, अनकही।

विशाल स्वामी, श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 2 फरवरी 2023। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में इन दिनों सबसे बड़ा मुद्दा पाले से खराब हुई फसलों के मुआवजे का छाया हुआ है। इसी मुद्दे पर किसानों की अनदेखी, अनकही हालातों पर विशेष टिप्पणी।

हम तो पिंजरे के पंछी रे, हमारा दर्द ना जाने कोय..

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। किसी फिल्म का दर्द भरा गीत “पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोय.., इन दिनों श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के किसानों का हाल बयां कर रहें है। राम और राज से मिले गम को गुनगुना हुए किसान गमगीन है और दर्द में भी गुनगुनाने का ये हुनर भूमिपुत्र को ही आ सकता है, क्योंकि किसान तो आखिर किसान है, तो आते है मुद्दे पर क्षेत्र में इस बार पाले के कारण व्यापक नुकसान हुआ है। क्षेत्र में उम्मीदों से भरे किसानों की अनकही बात यह है कि इस बार मूंगफली के उम्मीद से अधिक मिले भाव और सरसों से खाली हुआ खेत, दोनों का समीकरण मिल बांटकर बराबर ही बैठा है। बाजार चाहे कैसे भी चले, तेजी मंदि की चाल से बिना अधिक लेन देन के किसान को तो बस अपने भाग्य में लिखी मेहनत के रास्ते ही पुन: आगे बढ़ना है।
काश हमारा भी होता एक मंत्री.…
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में किसान, खेत और हालात भले भी पाले से व्यापक नुकसान का दावा कर रहे है लेकिन क्षेत्र में हुई गिरदावरी रिपोर्ट में यह खराबा 25 प्रतिशत ही माना गया है। रबी की फसल बुवाई करने वाले क्षेत्र के 30 हजार से अधिक किसानों ने यह स्वीकार भी कर लिया कि शायद उन्हें प्रतिशत निकालना नहीं आता, और राज ने जो प्रतिशत माना है वही सही होगा। लेकिन अगले ही दिन किसानों के सामने जब यह बात आती है कि खाजूवाला क्षेत्र के 24 हजार से अधिक किसानों के खेतों में खराबा 50 प्रतिशत से अधिक माना गया है एवं उन सभी को मुआवजा, विशेष पैकेज, बीमा क्लेम आदि मिलने की संभावना है तो क्षेत्र के किसानों की अनदेखी अनकही बात यही है कि काश हमारा भी कोई मंत्री होता। किसानों की अनकही बात है कि जब सर्वमान्य रिसर्च यह है कि नहरी क्षेत्र में पाले से नुकसान कम और खुले मैदानी इलाके में पाले से नुकसान अधिक होता है तो श्रीडूंगरगढ़ के खुले मैदानी इलाके में खाजूवाला के नहरी इलाके से कम नुकसान कैसे हो गया.? किसानों की अनकही है कि खाजूवाला विधायक इन दिनों राज्य में आपदा मंत्रालय का भार संभाले हुए है और शायद यही कारण है कि वहां के किसानों का नुकसान अधिक माना गया है और उन्हें क्लेम राशि मिल सकेगी। ऐसे में सभी के स्वर बस यही है कि काश हमारे नेता भी मंत्री होते तो शायद तस्वीर अलग होती।
गांव गांव छलक रहा है किसानों का दर्द।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। खेती, किसानी के हक की लड़ाई लड़ने के लिए बीकानेर जिले का घड़साना माने जाने वाले श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के किसानों का दर्द अब गांव गांव छलक रहा है। किसान श्रीडूंगरगढ़ में खराबा 25 प्रतिशत एवं खाजूवाला में 50 प्रतिशत होने की मिडिया रिपोर्टस को लेकर अपने अपने गांव के पटवारी से जूझ रहें है कि खेतों में नुकसान आंकलन से ज्यादा है। लेकिन साथ ही एक अनदेखी, अनकही पीड़ा यह है कि यहां किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने वाले किसान नेता ही इन दिनों सरकार में शामिल है। ऐसे में लड़े कौन.? और किससे लड़े.? यह सवाल किसानों के मन में छाया हुआ है। जो किसानों के हकों के लिए लड़ने वाले थे वह सत्ता में और दुसरे कोई अभी तक सक्रिय दिखे नहीं, ऐसे में किसान किसके पास आए, कहां गुहार लगाए..?

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पाले से पुरी तरह से सूख चुके है फलदार पेेड़ भी, लेकििन नहीं दिख रहा खराबा।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पाले से पुरी तरह से सूख चुके है फलदार पेेड़ भी, लेकििन नहीं दिख रहा खराबा।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पाले के कारणा पुरे के पुरे बाग सुखे।
श्रीडूंगरगढ़़ टाइम्स। पाले के कारण अनार हुई छोटी और फटी।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पाले सेे बुरी तरह प्रभावित हुए आंंवले के पेड़