निजी अस्पतालों में वार्ड फुल, एक गंभीर पीबीएम में भर्ती, शेष होम आइसोलेट।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 26 फरवरी 2024। मौसम के बदलते प्रभावों में सर्दी जुकाम आम हो गया है वहीं सांस लेने में दिक्कत बढ़ने लगे तो समस्या स्वाइन फ्लू की हो सकती। क्षेत्र में बड़ी संख्या स्वाइन फ्लू के रोगी सामने आ रहें है। निजी अस्पतालों में वार्ड भर्ती मरीजों से फुल है और जांच के लिए लोग पीबीएम जा रहें है। पीबीएम में शनिवार को हुई सैंपलो की जांच में एक साथ 12 केस पॉजिटिव रिपोर्ट हुए है। क्षेत्र का एक रोगी 70 वर्षीय गंभीर है जिन्हें पीबीएम के आईसीयू में भर्ती किया गया है। पीबीएम अस्पताल में 17 फरवरी को स्वाइन फ्लू के 13 रोगी पॉजिटिव आए थे। उसके बाद 19 फरवरी को तीन, 24 फरवरी की जांच में 12 केस पॉजिटिव आए है6 इस महीने अब तक पॉजिटिव का आंकड़ा 30 तक जा पहुंचा है। पीबीएम में यह एक ही मरीज भर्ती है शेष 12 में छह रोगी श्रीडूंगरगढ़, कोलायत, रामपुरा बस्ती, मरूधरा नगर के रहने वाले वाले है। शेष छह चुरू जिले के है।
श्रीडूंगरगढ़ में जांच नहीं, वार्ड फुल, प्रोटोकॉल का पालन जरूर करें।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। उपजिला अस्पताल के प्रभारी व सीनियर डॉक्टर एसके बिहाणी ने बताया कि श्रीडूंगरगढ़ में स्वाइन फ्लू की जांच सुविधा नहीं है। मरीज गंभीर स्थिति में पीबीएम पहुंचता है और वहीं जांच के द्वारा पॉजिटिव सामने आते है। इसका मुख्य लक्षण खांसी ठीक नहीं होने व सांस लेने में दिक्कत होना है। वहीं श्रीडूंगरगढ़ सहित आस पास के गांवो से बड़ी संख्या में मरीज अस्पतालों में पहुंच रहें है। निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों से वार्ड फुल है और डॉक्टर लगातार मास्क लगाने की सलाह दे रहें है। तुलसी सेवा संस्थान के डॉ अंकित स्वामी ने बताया कि मरीज की सीआरपी व सीबीसी बढ़ी हुई आए तो स्पष्ट हो जाता है कि शरीर में संक्रमण बढ़ गया है। इसे गंभीरता से लेकर ईलाज प्रारंभ कर दिया जाता है। स्वामी ने बताया कि स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए नागरिक मास्क पहनें, हाथों को बार बार धोएं। अपने पास सेनेटाइजर जरूर रखें और पीड़ित मरीज से दूरी बना कर रखें। अधिक भीड़ वाले स्थानों पर ना जाएं। वहीं धन्वंतरी अस्पताल के डॉक्टर विनोद कुमार ने बताया कि नागरिक विशेष रूप से ध्यान देवें कि यदि बुखार, खांसी या जुकाम से वे पीड़ित है तो शादियों में ना जाएं और यात्रा ना करें। लोगों से पर्याप्त दूरी बनाएं जिससे दूसरे संक्रमण का शिकार ना हो। उन्होंने कहा कि सांस लेने में तकलीफ बढ़ें व खांसी में राहत ना मिले तत्काल नजदीक के डॉक्टर को दिखाएं व सात दिन का प्रोटोकॉल जरूर निभाए।