April 25, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 जनवरी 2023। (कपिला स्वामी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट) बीकानेर जिले में सर्वाधिक कृषि कुंओं के साथ सर्वाधिक सिंचित रकबे वाले श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के किसान इस वर्ष मूंगफली के अच्छे भावों के कारण खासा उत्साहित थे। लेकिन क्षेत्र में रबी की फसल पाले एवं शीतलहर के कारण बर्बादी की कगार पर पहुंचने से किसानों का उत्साह धीमा पड़ गया है। अब राम के बाद राज भी किसानों से रूठ गया प्रतीत होता है। क्षेत्र के नेता पाले से फसल बर्बादी के मुद्दे पर वादे, मांग एवं मिडियाबाजी ही करते रह गए और दूसरी और प्रशासन द्वारा की गई गिरदावरी में क्षेत्र के किसानों को मुआवजा मिलने की उम्मीदें धूमिल हो गई है। क्षेत्र के नेता स्थानीय स्तर पर ज्ञापनों से लेकर विधानसभा तक में अपनी आवाज तो उठाते दिखे लेकिन यह आवाज इतनी लेट उठी कि प्रशासन द्वारा की गई गिरदावरी में क्षेत्र के एक भी किसान को मुआवजे का पात्र नहीं माना गया है। वहीं वास्तविकता ये है कि किसान अगेती सरसों व इसबगोल में 100 प्रतिशत नुकसान मानते हुए अपने खेतों में फसल को जमीन में जमींजोद कर रहें है। किसानों का दावा है कि श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में हजारो हेक्टेयर में की गई सरसों की अगेती बुवाई में तो 100 प्रतिशत तक खराब हुवा है। 25 से लेकर 50 प्रतिशत खराबा तो सभी फसलों में हर जगह हुवा है। लेकिन किसानों द्वारा फसलो पर ट्रेक्टर चलाने के दृश्य शायद प्रशासन को दिखाई नही दिए। आप भी देखें श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स द्वारा की गई बर्बाद फसलों के मुआवजे एवं बीमा क्लेम के संबध में की गई पुरी पड़ताल की विशेष रिपोर्ट।

दो लाख बीघा में हुआ खराबा लेकिन इतना नहीं कि क्लेम मिल सके।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। प्रशासन द्वारा की गई गिरदावरी रिपोर्ट में श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में 2 लाख 12 हजार 850 बीघा क्षेत्रफल में खराबा माना गया है। लेकिन किसानों को हैरान करने वाली बात यह है कि क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर फसलों में नुकसान हुआ है। अगेती सरसों व इसबगोल की फसल तो लगभग पूरी तरह से बरबाद हो गई है। श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स ने जब पड़ताल की तो सामने आया कि प्रशासन द्वारा उच्चाधिकारियों को भेजे गए आंकड़ों में क्षेत्र के 86 चक-गांवों में 30 हजार 128 किसानों के खेतों में नुकसान होना तो माना गया है, लेकिन इन 30 हजार से अधिक किसानों के खेतों में एक भी किसान ऐसा नहीं जिसके यहां खराबा 30 प्रतिशत से अधिक माना गया हो। प्रशासनिक आंकडों में 41,363 बीघा में इसबगोल, 1,63,325 बीघा में सरसों, 3,615 बीघा में जीरा एवं 1,363 बीघा में जौ की फसलें खराबे से प्रभावित हुई है। क्षेत्र में सुरजनसर, धीरदेसर पुरोहितान, उदासर चारणान, लाखनसर, धीरदेसर चोटियान में ईसबगोल की फसल में 30 प्रतिशत खराबा एवं गांव सत्तासर, लिखमादेसर, धीरदेसर चोटियान, इंदपालसर सांखलान, इदंपालसर राईकान, इंदपालसर गुंसाईसर, हिरावतान, बिग्गाबास रामसरा, सुरजनवासी, अमृतवासी, चक जोधाणा में सरसों की फसल में 30 प्रतिशत खराबा माना गया है। इसके अलावा सभी जगहों पर ईसबगोल, सरसों, जीरा एवं जौ में 25 प्रतिशत खराबा ही माना गया है।
नियमों का पेंच ऐसा कि मुआवजे की आस टूटी।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। प्रतिवर्ष श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के हजारों किसानों के करोड़ों रुपए का बीमा, कम्पनियों द्वारा किया जाता है। लेकिन हर वर्ष बीमा क्लेम एवं मुआवजे के समय श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र को मायूस ही होना पड़ रहा है। नियमों का पेंच ऐसा है कि किसान को उसकी सम्पूर्ण उपज का 33 प्रतिशत से अधिक खराबा होने पर ही बीमा क्लेम एवं मुआवजा देय होता है लेकिन यहां यह बड़ा सवाल है कि जब अलग अलग फसलों का प्रीमियम अलग अलग भरना पड़ता है तो किसान के खेत में बोई गई सम्पूर्ण फसल का खराबा क्यों मापा जाता है.? सभी किसानों को इसी ठगनियम के माध्यम से बीमा क्लेम से वंचित रखने का खेल लंबे समय से बीमा कम्पनियों का चल रहा है। कई बार ऐसा होता है कि किसान की बुवाई अलग अलग फसलों की अगेती, पछेती होने के कारण मौसम की मार का असर अलग अलग रहता है और यही कारण है कि किसानों को मुआवजे से वंचित रख दिया जाता है।
सड़क से सदन तक संघर्ष की जरूरत, बोले किसान।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। क्षेत्र के किसानों को उचित बीमा क्लेम दिलवाने के लिए अब सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करना होगा। क्षेत्र के कई किसान नेता इस सबन्ध में तैयारी भी कर चुके है। यह विडम्बना ही है कि पिछले कई वर्षों में कालू-लूणकरणसर क्षेत्र हो या भादरा का इलाका हो, किसानों को मिलने वाला मुआवजा किसान हित में एक नजीर बना हुआ है। क्षेत्र में भी राजनेता इस विषय पर गम्भीर हो और किसानों की आवाज वास्तविक पटल पर उठाए। केवल क्षेत्र में फोटोजनिक धरना, प्रदशर्न तक सीमित हो रहे राजनीतिक आंदोलन वास्तव में किसानों को उचित मुआवजा दिलवाने को अंजाम तक पहुंचाए।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। हरी भरी इन फलियों में दाना 5 से 10 प्रतिशत भी नहीं बचा है।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। किसान पुरखाराम गोदारा के खेत में इसबगोल बर्फ से मिट्टी में मिल गया।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। सोहनराम चोटिया धीरदेसर चोटियान के खेत में खड़ी फसल पर कल्टी चलाता किसान।

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