May 8, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 31 मार्च 2024। होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी मनाई जाती है। कुछ लोग शीतला अष्टमी भी मनाते हैं। शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी इस साल 2 अप्रैल को है। जो लोग शीतला सप्तमी मनाते हैं, वहीं बड़ी संख्या में लोग 1 अप्रैल के दिन शीतला सप्तमी का पूजन करेंगे। लोक मान्यता के अनुसार भी लोग ठंडा दिन देखकर बासौड़ा मनाते है। बासौड़ा के दिन बासी खाने का भोग माता शीतला को लगाया जाता है। शीतला माता ठंडक प्रदान करने वाली देवी है। छोटे बच्चों की माताएं बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पूरी श्रद्धा के साथ माता का पूजन करती है। होली के बाद मौसम में बदलाव आता है और हल्की ठंड भी खत्म होने लगती है। ऐसे में वातावरण में ठंडक की आवश्यकता होती है क्योंकि भीषण गर्मी में त्वचा सम्बधी रोग का खतरा बना रहता है। इस कारण मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से चेचक, चर्म रोग की बीमारियां दूर रहती हैं।

शीतला सप्तमी-अष्टमी या बसौड़े की पूजन विधि।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। आप शीतला सप्तमी-अष्टमी दोनों ही दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। आप अगर सूर्य निकलने से पहले बसौड़ा पूज लेते हैं, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्न्नान कर लें। इसके बाद माता शीतला के मंदिर में जाकर विधि-विधान के साथ पूजा करें। कुछ लोग होलिका दहन वाली जगह पर भी बसौड़ा पूजते हैं। आप अपनी मान्यता अनुसार किसी भी जगह माता शीतला का ध्यान करके पूजा कर सकते हैं। सबसे पहले माता शीतला की पूजा करें। उन्हें जल चढ़ाएं, इसके बाद गुलाल, कुमकुम अर्पित करें। इसके बाद बासी भोजन जैसे पूडे, मीठे चावल, खीर, मिठाई का भोग माता शीतला को लगाएं।

बसौड़ा पूजते समय 3 बातों का खास ख्याल रखें।

  1. माता शीतला को हमेशा ठंडे खाने का भोग ही लगाया जाता है।
  2. माता शीतला की पूजा करते समय दीया, धूप या अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
  3. शीतला माता की पूजा में अग्नि को किसी भी तरह से शामिल नहीं किया जाता है।
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