ना कोई पद है ना ये रहीस है, है तो इनके पास केवल जज्बा है।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 26 मई 2021। कस्बे के इन युवाओं के पास ना कोई पद है ना ही ये रहीस है पर सेवा का जज्बा ऐसा है कि भक्ति के साथ गौसेवा जैसे पावन कर्म में निःस्वार्थ भाव से जुटें हुए है। गौसेवार्थ सुंदरकांड मंडली के ये युवा सेवा के लिए किसी से सहयोग की मांग नहीं करते वरन स्वयं अपने अपने रोजगार के कार्य से फ्री होकर विभिन्न घरों में संगीतमय सुंदरकांड का पाठ करते है और चढ़ावे में प्राप्त समस्त राशि को गौसेवा में खर्च करते है। कालू रोड पर डम्पिंग यार्ड में कचरा खाने को मजबूर गोवंश को बाहर लाकर बीहड़ क्षेत्र में चारा व सब्जियां, तरबूज इत्यादि देते है ताकि गोवंश को बाहर चरने की आदत हो जाये और ये गोवंश कचरे पर मुंह मारने, थैलियां खाने से बच पाए। यहां पर गायों के कचरा खाने से आक्रोशित कई संगठनों ने पालिका से कई बार मांग भी की तथा डंपिंग यार्ड के तारपट्टी कर स्थाई कार्मिक की नियुक्ति आदि के जतन में लाखों खर्च कर पालिका ने प्रयास भी किये लेकिन परिणाम ढाक के वही पात रहे। ऐसे में गायों को कचरा खाने से बचाने के लिए इन युवाओं के प्रयासों को कस्बे में पूरजोर जनसमर्थन भी मिल रहा है। सेवाभावी इन युवाओं में शामिल अमित पारीक ने बताया कि गौसेवार्थ सुंदरकांड मंडली की स्थापना अप्रैल 2017 में की। विभिन्न घरों में मंडली ने अब तक 294 सुंदरकांड का पाठ किए है। इसमें लगभग 15 सदस्यों की टीम हैं। मंडली बेसहारा गौवंश को चारा खिलाने, घायल गोवंश को गौशालाओं में पहुंचाने, रसीद कटवाने, इलाज का खर्च उठाने जैसे कार्यों सहित वर्ष में तीन बार कन्यापूजन, शिवरात्रि पर्व पर महारुद्राभिषेक की चार प्रहर के पूजन का आयोजन भी करती है। और समस्त आयोजनों में प्राप्त सभी राशि गौ सेवा में खर्च कर दी जाती है।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। सुबह 5 बजे घर से निकल कर ये युवा गौवंश को डंपिंग यार्ड से बाहर लाकर चारा, सब्जियां, तरबूज इत्यादि खिलाते है।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। मंडली द्वारा प्राप्त चढ़ावे की समस्त राशि बेसहारा गौवंश की सेवा में लगाई जाती है।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। मध्यमवर्गीय परिवारों के ये युवा इस सेवा कार्य का खर्च अपने रोजगार से इतर प्रयास कर उठा रहें है।