April 19, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 25 नवबंर 2021। मंगलवार को जयपुर में एक ही स्कूल के 12 बच्चे कोरोना संक्रमित मिले और बुधवार को बीकानेर में तीन पॉजिटिव आए है ये आंकड़ा कोरोना के बढ़ने की ओर ही इशारा ही नहीं एक चेतावनी भी है कि लापरवाही बरतना जान पर भारी पड़ सकता है। दूसरी लहर की पीड़ा अभी भी कई परिवार भूले नहीं है क्योंकि क्षेत्र के कई घरों से एक से अधिक शव उठें थे। अस्पतालों में जांच के लिए संघर्ष, ऑक्सीजन और दवाईयों की कमी ने आम जन को कई घाव दिए और अब पुनः बरती जा रही लापरवाही के कारण कहीं क्षेत्र पर भारी न पड़ जाएं। कोरोना की इस दस्तक के साथ ही श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में भी वैक्सीन के प्रति आई लापरवाही चितांजनक है। देश भर में 10 करोड़ ने वैक्सीन नहीं ली है और श्रीडूंगरगढ़ में भी करीब 90 हजार नागरिकों ने दूसरी वैक्सीन नहीं लगवाई है। क्षेत्र में करीब 23 हजार ने तो वैक्सीन का पहला डोज ही नहीं लगवाया है तथा दूसरी वैक्सीन लगवाने में भारी लापरवाही सामने आ रही है। विभाग वैक्सीन लगवाने की अपील कर रहा है और लोग दूसरा टीका लगवाने नहीं आ रहें है। क्षेत्र में 73,341 व्यस्कों ने अपना दूसरा डोज नहीं लगाया है। 44 प्लस में थोड़ी जागरूकता अधिक नजर आई परन्तु 15,522 ने दूसरा डोज नहीं लगवाया है। और तो और क्षेत्र में हैल्थकेयर वर्कर ने 137 जनों ने दूसरा डोज नहीं लगवाया है तथा 499 फ्रंट लाइन वर्करों ने लापरवाही बरती है। ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. संतोष आर्य का कहना है कि एक्सपर्ट कह रहें है कि ऐसे लोग वैक्सीनेशन कवरेज में बड़ी बाधा बन सकते है और इसका असर इम्यूनिटी पर भी पड़ सकता है। आर्य ने कहा कि क्षेत्र के नागरिक बिल्कुल ये मत सोचें कि कोरोना खत्म हो गया है। अगर आपने अभी तक एक भी डोज नहीं लिया है या आपको सेकेंड डोज लेना बाकी है तो जल्द से जल्द खुद को पूरी तरह वैक्सीनेट कीजिए। साथ ही अनवैक्सीनेटेड लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित कीजिए। बता देवें कि क्षेत्र में वैक्सीनेशन की धीमी गति ने विभाग को चिंता में डाल दिया है। आर्य बार बार अपील कर रहें है परन्तु कस्बे में वैक्सीनशन रोजाना करीब बीस के भीतर सिमट गया है।

जानें श्रीडूंगरगढ़ का चिंतनीय वैक्सीनेशन चार्ट.!
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ में जनसंख्या 3,21,375 है इनमें 0-18 वर्ष के टीका योग्य 1,25,885 नहीं है तथा शेष 1,95,490 वैक्सीन के लिए योग्य जनसंख्या है। इनमें 18-44 में 132851 तथा 44+ में 62639 नागरिकों को वैक्सीन लगानी थी।

अब बताते है क्षेत्र में प्रथम व द्वितीय डोज की स्थिति क्या है.?
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पूरे क्षेत्र में प्रथम डोज लेने वालों में हेल्थकेयर पर्सन 929 शामिल थे व फ्रंट लाइन वर्कर में 1425 जनें शामिल रहें। प्रथम डोज 18-44 वालों में 109996 लोगों ने लगवाई इसका अर्थ ये हुआ कि करीब 23 हजार नागरिकों ने प्रथम डोज ही नहीं लगवाया है। द्वितीय डोज हेल्थकेयर वर्कर ने 792 ने लगवाई है, फ्रंट लाइन वर्कर्स ने द्वितीय डोज 926 ने लगवाया है और 18-44 ने 36,655 लोगों ने लगवाई है जो वास्तव में अति-चिंतनीय स्थिति है। 44+ ने भी द्वितीय डोज लगवाने में लापरवाही बरती है और 45,230 नागरिकों ने दूसरों डोज लगवाया है। ये प्रथम डोज की तुलना में काफी कम है।

वैक्सीन के दोनों डोज लेना जरूरी है।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। महामारी एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक हमें याद रखना होगा कि वैक्सीन पूरी तरह तभी इफेक्टिव होती है, जब उसके दोनों डोज लिए जाएं। साथ ही वैक्सीन का जो पहला डोज होता है। वो शरीर को एंटीबॉडी बनाता है जो लंबे समय तक शरीर में रहती है। इसलिए वैक्सीन का एक डोज काफी नहीं है। जब तक आप फुली वैक्सीनेट नहीं हो जाते, जब तक आपकों पूरी तरह प्रोटेशन नहीं मिलता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप वैक्सीन के दोनों डोज लें।
क्या वैक्सीन का एक डोज पर्याप्त इम्यूनिटी प्रोवाइड करता है?
ज्यादातर वैक्सीन का सिंगल डोज एफिकेसी टेस्ट नहीं हुआ है। यानी उनका एक डोज कितना कारगर है इसको लेकर कोई टेस्ट नहीं किए गए हैं। इसलिए हम नहीं जानते कि वैक्सीन का एक डोज कितना इफेक्टिव है। हालांकि कोवीशील्ड के सिंगल डोज को लेकर की गई एक स्टडी में पता लगा है कि कोवीशील्ड का सिंगल डोज थोड़ा प्रोटेक्शन जरूर प्रोवाइड करता है, लेकिन उसका असर बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। इसलिए वैक्सीन के दोनों डोज लेने से ही आपको पर्याप्त इम्यूनिटी मिल सकती है।
जिनका दूसरा डोज मिस हुए ज्यादा समय हो गया, क्या उन्हें दोबारा पहला डोज लेना होगा?
नहीं। ऐसे लोगों को दोबारा पहला डोज नहीं लेना होगा। जब भी मौका मिले, तब आप दूसरा डोज ले सकते हैं।
डोज मिस होने से एंटीबॉडी कम हो जाएगी, क्या ऐसे लोगों को बूस्टर डोज (तीसरा टीका) दिया जाएगा?
बूस्टर डोज (तीसरे टीके) की बात वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर की जाती है। अभी फिलहाल जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनमें से कुछ वैक्सीन पर रिसर्च की गई है। इन रिसर्च में सामने आया है कि समय के साथ एंटीबॉडी कम होती चली जाती है, लेकिन टीकाकरण का हमारा उद्देश्य है कि गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से लोगों का बचाव करना। भले ही हमारे शरीर में एंटीबॉडी कम हो, लेकिन वो फिर भी हमें कोरोना की वजह से गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से बचाने में कारगर है। इसलिए फिलहाल बूस्टर डोज रिकमेंड नहीं किया जा रहा, लेकिन हो सकता है कि आने वाले समय बूस्टर डोज की जरूरत पड़े। फिलहाल तो हमारी प्राथमिकता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट हों।
अगर आप वैक्सीन का केवल एक ही डोज लें, तो क्या होगा?
कुछ वैक्सीन जैसे कि कोवैक्सिन में सिंगल डोज से कोई प्रोटेक्शन नहीं मिलता। अगर आप दूसरा डोज नहीं लगवाते हैं, तो लगभग आप अनवैक्सीनेटेड लोगों के बराबर ही हैं। यानी, आपके एक डोज लगवाने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए दूसरा डोज लगवाना बेहद जरूरी है। अगर आपने वैक्सीन का केवल एक ही डोज लिया तो हो सकता कि आपमें अनवैक्सीनेटेड लोगों के मुकाबले बेहतर एंटीबॉडी हो, लेकिन एंटीबॉडी लेवल में अंतर ज्यादा नहीं होगा। 5 से 6 महीने बाद आपका एंटीबॉडी लेवल अनवैक्सीनेटेड लोगों के बराबर हो जाएगा।
क्या इससे तीसरी लहर का खतरा बढ़ सकता है?
वैक्सीन की भूमिका इन्फेक्टेड लोगों की गंभीर बीमारी, हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों से बचाने की है। वैक्सीन संक्रमण से नहीं बचाती है। इसलिए तीसरी लहर से बचने के लिए वैक्सीनेशन के साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का बेहतर तरीके से पालन करना भी जरूरी है। साथ ही याद रखना होगा कि अगर तीसरी लहर आती है तो अनवैक्सीनेटेड लोगों में गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा होगा। वहीं, वैक्सीनेटेड लोगों को ये खतरा कम होगा।

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