श्रीडूंगरगढ टाइम्स 15 मार्च 2020। यूं तो इस समय दुनिया भर में कोरोना वायरस का आतंक छाया हुआ है, लेकिन बदलते मौसम में कई अन्य संक्रमणों से भी बचे रहने की जरूरत होती है। चूंकि अभी तापमान घट-बढ़ रहा है, इसलिए सेहत के प्रति अतिरिक्त रूप से सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि रोगों और संक्रमणों की चपेट में न आएं। इस मौसम में खुद को कैसे रखें सुरक्षित, जानकारी दे रही हैं निधि गोयल
किन पर दें ज्यादा ध्यान-
मेदांता द मेडिसिटी अस्पताल की मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुशीला कटारिया कहती हैं कि इस समय तो दुनिया भर में कोरोना वायरस का ही खौफ छाया हुआ है, लेकिन बदलते मौसम में अन्य संक्रमणों से भी बचने की जरूरत है। चूंकि अब भारत में भी इसके मरीजों की संख्या बढ़ गई है, सर्दी, जुकाम, खांसी, तेज बुखार, गले में खराश या सिरदर्द जैसी किसी भी समस्या में लापरवाही बिल्कुल न बरतें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इस समय अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में सर्दी-खांसी और बुखार के मरीजों की संख्या पिछले वर्ष की अपेक्षा लगभग दुगनी हो गई है। इसकी एक वजह कोरोना वायरस भी है, जिसने सामान्य सर्दी-खांसी में भी लोगों को अस्पताल जाने पर मजबूर कर दिया है।
खासतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है। सर्दी-जुकाम, बुखार की जटिलताओं के कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, या न्यूमोनिया भी हो सकता है। अगर यह तकलीफ मौसमी है तो इसमें एंटीबायोटिक्स का सेवन न करें। फरवरी-मार्च, सितंबर-अक्टूबर के महीनों में वातावरण में वायरस की सक्रियता ज्यादा होने के कारण ऐसी तकलीफें बढ़ जाती हैं। बुखार की स्थिति में डॉक्टर की सलाह से फ्लू की दवा ली जा सकती है।
सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हिमांशु गर्ग कहते हैं कि इस साल प्रदूषण पिछले वर्षों से कम रहा है, लेकिन वायरस -बैक्टीरिया सक्रिय हैं, इसलिए सावधानी बरतनी जरूरी है।
स्वच्छता का रखें ध्यान-
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ आयुर्वेद कंसल्टेंट डॉ़. परमेश्वर अरोड़ा बताते हैं कि दिल्ली/एनसीआर की हवा प्रदूषित है, इस वजह से यहां सामान्य रूप से लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। जब भी मौसम में बदलाव आता है, बैक्टीरिया, वायरस सक्रिय हो जाते हैं़। ऋतु संधि काल में आयुर्वेद में कई सावधानियां बताई गई है। इस समय सर्दी, जुकाम, कफ, बुखार जैसी बातें आम हैं। इनसे बचने का सबसे अच्छा तरीका है, अच्छा, संतुलित और ताजा भोजन, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद, आराम और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना। नब्बे प्रतिशत सर्दी-जुकाम के मरीज बिना दवा लिए भी सिर्फ सफाई की आदतों का पालन करने से स्वस्थ हो जाते हैं।
स्वस्थ रहने के लिए इस मौसम में अपनाएं ये नुस्खे-
-खाने की गुणवत्ता का ध्यान रखें। खाना परोसने और खाने में सफाई का पूरा ध्यान रखें। बाहर के खाने से बचें। एक बार में ज्यादा खाना नहीं खाएं।
-खाने के संयोजन का पूरा ध्यान रखें। जैसे गर्म प्रकृति और ठंडी प्रकृति का खाना एक साथ नहीं खाएं। खट्टी और नमकीन चीज के साथ दूध न लें। गर्म और ठंडी चीजें एक साथ नहीं लें।
-योग और व्यायाम नियमित रूप से करें। आयुर्वेद में रसायन के प्रयोग का महत्व बताया गया है। च्यवनप्राश रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का अच्छा रसायन है। शीतोपलादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इससे जुकाम और खांसी दोनों नियंत्रित रहेगी।
-खांसी की स्थिति में छोटी हरड़ को हल्का भून कर काली मिर्च के साथ चूसने पर लाभ मिलेगा, साथ ही पेट भी ठीक रहेगा।
-गर्म पानी में हल्दी और नमक डालकर सुबह-शाम गरारा करें।
-चार-पांच मुनक्का भून कर खाएं।
-गर्म दूध में हल्दी डालकर पीने की आदत डालें।
-बच्चों और बुजुगारों का इस मौसम में खास ख्याल रखें। बच्चे को अगर सर्दी, जुकाम है तो उसे स्कूल न जाने दें। सफाई और हाइजीन का ख्याल रखें।
-अगर सर्दी-जुकाम, गले में खराश, सिरदर्द, पेट दर्द या तेज बुखार जैसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह से दवा लें। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज करें। अपनी चीजों का प्रयोग दूसरों को न करनें दें। घर से तब तक न निकलें, जब तक कि स्वस्थ न हो जाएं।
-सर्दी-जुकाम वायरस के कारण होता है, बैक्टीरिया के कारण नहीं। इसके इलाज में एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती। आमतौर पर सर्दी, जुकाम के मरीज एंटीबायोटिक लेने लगते हैं, कई बार डॉक्टर्स भी यही कोर्स बता देते हैं। खांसी हो रही हो और पीला या हरा बलगम आ रहा हो, तभी एंटीबायोटिक लें।
-बाहर से आकर हाथ-मुंह धोएं। खांसते वक्त मुंह पर टिश्यू या रूमाल जरूर रखें।
-बचाव के लिए बच्चों-बड़ों, सभी को वैक्सीनेशन कराना चाहिए।