श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 10 जनवरी 2022। श्रीडूंगरगढ़ के आस-पास के कृषि क्षेत्र से लंबे समय से किसानों की शिकायत है कि सुअर उनकी फसलों को बर्बाद कर रहें है। ये सुअर गांव रिड़ी के आस-पास की रोही तक पहुंच गए है और फसलों को चट कर जाने के साथ ही ये उग्र भी हो रहें है। इन सुअरों को हटकारने पर सामने हमला करने को उतारू होने लगे है। भैरूंसिंहबास की रोही से केसराराम जाखड़ ने बताया कि चौसंगी लेकर सींव पर खड़े है और सुअर को डांटने पर दो सुअर सामने से हमला करने पर उतारू हो गए है। रिड़ी की उत्तरादी रोही के किसानों ने बताया कि वे सुअरों के आंतक से बुरी तरह से परेशान हो गए है और समाधान नहीं होने पर वे ईंट से ईंट बजा देंगे। वे वन विभाग को बार बार फोन पर सूचित कर रहें है। किसान ओमनाथ सिद्ध, रेवंतनाथ सिद्ध, सूरताननाथ बलिहारा, जैसाराम जाट, मामराजनाथ बलिहारा, हंसराज बलिहारा, रामेश्वरलाल जाखड़, हजारीराम जाट, जवाननाथ सिद्ध, रेवनाथ सिद्ध, भानीनाथ, रामेश्वरनाथ सिद्ध, पोकरराम नैण, हरखाराम मेघवाल, शिवलाल शर्मा, ने कहा कि हमारे लिए ये खतरनाक समस्या बन गई है जिसका शीघ्र समाधान आवश्यक है। वन विभाग के रेंजर जितेंन्द्र कुमार ने बताया कि सुअरों को पकड़ने के लिए विभाग के पास टीम नहीं है व ऐसी समस्या होने पर पंचायत प्रस्ताव बना कर भेंजे तो प्रशासनिक स्तर पर ही प्रयास हो सकेंगे। हालांकि समस्या का समाधान होते नहीं दिख रहा है परन्तु प्रशासनिक स्तर पर किसानों की इस समस्या के समाधान पर ध्यान अवश्य दिया जाना चाहिए। बता देवें कुछ समय पूर्व भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी सुअरों की समस्या के समाधान की मांग की थी।
1921 में किसानों ने किया था आंदोलन।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। राजस्थान में आजादी से पूर्व 1921 में अलवर राज्य में किसानों ने जंगली सुअरों से परेशान होकर आंदोलन किया था। वहां सुअरों ने किसानों की फसलों को चौपट करना शुरू किया तो किसानों ने महाराणा से शिकायत कर समाधान की मांग की थी। राज्य की ओर से सुअरों को मारने पर रोक थी और अलवर राज्य के किसानों ने एकजुट होकर इस समस्या के खिलाफ आंदोलन किया। आखिर राज्य को अपना फैसला बदलकर सुअरों को पालने वाले होदों को बंद करना पड़ा और सुअरों को मारने की इजाजत भी दी गई थी। वर्तमान में इन्हें पकड़कर अन्यत्र छुड़वा कर समस्या का समाधान किया जा सकेगा जो काफी जटिल रहेगा।