April 20, 2024

श्रीडूंगरगढ टाइम्स 10 दिसम्बर 2019। सरकारों द्वारा चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर लाने के कई प्रयास किये जाते रहे है पर कार्मिकों की सवेंदनहीनता के कारण गांवो में हालात बद से बदतर वाले हो गये है। धीरदेसर पुरोहितान के उपचिकित्सा केन्द्र के जो हालात है उससे ग्रामीणों में सरकारी तंत्र के प्रति आस्था तो कम की है साथ ही नाराजगी भर दी है। यहां कोई बुजुर्ग आ जाये या महिला मामूली बुखार में एक गोली बिना पैसे के नहीं मिलती है। इससे भी बढ़कर आरोप लगा रहे ग्रामीणों ने बताया कि गांव के उपस्वास्थ्य केन्द्र पर नियुक्त कार्मिक को लालच इतना है कि हर डिलेवरी पर बधाई के नाम पर रूपये ऐंठे जाते है। अपने बच्चे का उपचार करवाने पर संवेदनहीनता के शिकार हुए गांव के जागरूक नागरिक आदुराम मेहरा ने ग्रामीणों के साथ मिल कर इस स्थिति में परिवर्तन लाने का निश्चय किया व सीएमएचओ तक शिकायत की परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। मेहरा ने चिकित्सा विभाग के टोल फ्री नम्बर 181 पर भी शिकायत की लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीणों में रोष फैल गया। ऐसे में आदुराम ने भी हार नहीं मानी व मंगलवार को उन्होंने ग्रामीणों के साथ मिल कर एसडीएम को ज्ञापन दिया व कार्यवाही की मांग की है। ज्ञापन में आदुराम मेहरा ने बच्चे को कुत्ते द्वारा काटने के बाद मरहम पट्टी के लिए जाने पर वहां नियुक्त एएनएम द्वारा किए गए दुरव्यवहार की जानकारी भी दी है।
भारत की आत्मा गांवो में कहाँ है आत्मा?
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। गांधी ने कहा भारत की आत्मा गांवो में बसती है आज लगता है कहाँ है वो आत्मा। गांवो के ग्रामीण परन्तु शहरों तक ही काम करके सरकारी तंत्र अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है। ग्रामीणों के साथ होने वाले सरकारी दुर्व्यवहार पर ना तो सुनवाई होती है ना ही कार्यवाही। ग्रामीण अधिकारों की जानकारी के अभाव में अपनी आवाज नहीं उठा पाते है। सरकारें बार बार सुशासन की दुहाई देते हुए गांवो में व्यवस्था सुधार की बात करती है परन्तु धरातल पर ये अमल में नहीं आ पाता। चिकित्सा जैसे क्षेत्र में कम से कम कार्य सही हो ये जिम्मेदारी सरकारी अफसरों की है।

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