श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 1 जनवरी 2021। कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन देश के कई राज्यों में फैल चुका है. स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक, देश में सबसे पहले ओमिक्रोन वैरिएंट संक्रमण के दो मामले कर्नाटक में मिले थे. इनमें एक व्यक्ति की उम्र 66 साल और दूसरे की 46 साल बताई गई थी. कोरोना वायरस के इस नए वैरिएंट B.1.1.529 को ओमिक्रॉन नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिया गया है और इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया गया है. ओमिक्रोन अबतक दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है, ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना का यह नया वैरिएंट पिछले संस्करण की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक है. इसकी ये वजह है कि ओमिक्रोन वैरिएंट में 43 म्यूटेशन देखे जा रहे हैं, जो कि डेल्टा वैरिएंट में सिर्फ 18 ही थे. हालांकि यह कितना खतरनाक हो सकता है अभी तक ये कहना मुश्किल है.
अमेरिका में ओमिक्रोन बच्चों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है. जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में न्यूयॉर्क में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या 4 गुना तक बढ़ गई है. अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले बच्चों में 5 साल से कम उम्र के 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे शामिल हैं.
ओमिक्रॉन के मरीजों में मिल रहे हैं ये लक्षण
सबसे पहले ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज के गले में परेशानी देखी जा रही है. इसमें गला अंदर से छिल जाता है. डिस्कवरी हेल्थ, साउथ अफ्रीका के चीफ एग्जीक्यूटिव रयान रोच ने बताया कि नाक बंद होना, सूखी खांसी और पीठ में नीचे की तरफ दर्द की समस्या ओमिक्रोन पीड़ित मरीजों को हो रही है.
इसके अलावा आपकी आवाज फटी-फटी या गला बैठा हुआ भी महसूस हो सकता है.
दोनों वैक्सीन लगवा चुके लोगों में कफ एक प्रमुख लक्षण के तौर पर उभरकर सामने आया है. वहीं नाक का बहना भी एक प्रमुख संकेत है.
कई लोगों में इसकी वजह से थकान देखी जा रही है, इसके साथ ही मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द भी महसूस हो सकता है.
बहती नाक, बंद नाक, सिर दर्द, थकान, छींक आना, रात में पसीना और शरीर में दर्द होना जैसे ओमिक्रोन के अन्य शुरुआती लक्षण हैं.
क्या है इसका इलाज
WHO की गाइडलाइंस के मुताबिक, कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट से पीड़ित मरीज का भी इलाज करने का तरीका भी वही है जो कोरोना के अन्य वैरिएंट का है. इस वैरिएंट से पीड़ित मरीज को भी आइसोलेशन में रखा जाता है. रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ब्लड टेस्ट और एक्सरे किया जाता है. रिपोर्ट सामान्य रहने पर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है.
जीनोम सिक्वेंसिंग की क्यों है जरूरत
हमारी कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ होता है, जिसे DNA, RNA कहते हैं. इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है और जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इनकी जांच की जाती है कि ये वायरस कैसे बना है और इसमें क्या खास बात अलग है. सिक्वेंसिंग के जरिए ये समझने की कोशिश की जाती है कि वायरस में म्यूटेशन कहां पर हुआ और अगर म्यूटेशन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुआ हो, तो ये ज्यादा संक्रामक होता है जैसा कि ओमिक्रोन के बारे में कहा जा रहा है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स….
वैज्ञानिकों ने बताया है कि ओमिक्रोन कोविड-19 वायरस का एक नया प्रकार है, इसलिए हमें अभी इसकी मोर्टिलिटी और ट्रांसमिशन रेट को समझने के लिए कुछ हफ़्तों तक इन्तजार करना पड़ेगा. यह एक नया वायरस है जिसके बारे में जानकारी अभी बहुत कम है. वैज्ञानिक अभी इस पर रिसर्च कर रहे हैं. इससे डरना नहीं चाहिए. नई दवाओं के संक्रमण और उसके फैलाव को रोकने के लिए हमें हर समय कोविड के उचित सावधानी वाले नियमों का पालन करना चाहिए. इसके लिए सावधानी ही बचाव है, सतर्क रहें, मास्क पहनें, सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें.