श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 20 नवम्बर 2023। विधानसभा चुनाव- 2023 के लिए मतदान 25 नवम्बर को होना है एवं मतदान के लिए आज से 4 दिन शेष रहें है। ऐसे में श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स द्वारा प्रतिदिन विशेष कवरेज “सत्ता का संग्राम” टाइम्स के सभी पाठकों के लिए चुनाव की काऊंडाउन के साथ लगातार प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रतिदिन शाम को एक अंदरखाने की खबर के साथ क्षेत्र की चुनावी चर्चा पाठकों के समक्ष रखी जा रही है। इसी क्रम में पढ़ें आज की विशेष टिप्पणी।
गोलमाल है भाई सब गोलमाल है, सीधे रास्ते की यह उल्टी ही चाल है।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 20 नवम्बर 2023। गोलमाल है भाई सब गोलमाल है, सीधे रास्ते की यह उल्टी ही चाल है। यह गाना किसी समय बड़ा ज्यादा प्रचारित हुआ था एवं कहीं कुछ समझ नहीं आने वाली स्थिति में यह गीत आज भी खासा चर्चा में रहता ही। यही हाल इस बार श्रीडूंगरगढ़ के विधानसभा चुनाव में देखा जा रहा है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे ही यह गोलमाल वाली स्थिति बढ़ती जा रही है। इस बार यहां की जनता नेताओं के साथ मसखरी करने में लगी है। सभी नेताओं के यहां भारी भीड़ के रूप में उपस्थित होकर जयकारे लगा रही है। मजे की बात यह है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग है जो एक या दो नेता के नहीं बल्कि पांच-पांच नेताओं की रैलियों में शामिल हो रहे है। चुनाव की शुरूआत में जब ये हाल थे तो लोगों ने कयास लगाए कि दीपावली के बाद पाले खींच जाएगें। लेकिन दीपावली के बाद भी यही हालात रहे तो कयास लगे कि चुनाव से एक सप्ताह पहले तक सब क्लीयर अपने अपने पाले में बंध जाएगें। लेकिन हाल यह है कि अभी भी सभी नेताओं के साथ भीड़ नजर आ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों सहित हर कंठ से गीत गूंज रहा है कि सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है। इसी गोलमाल के शिकार यहां का सट्टा बाजार भी हो गया है और सटोरिये भी तीनों प्रत्याशियों के भाव बराबर से ही बोलने लगे है।
सुलगने लगी है पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन की चर्चाएं।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ पगड़ी बहुल क्षेत्र है एवं यहां पगड़ी संभालने की एक आवाज पर रातों रात रणक्षेत्र में सेना इधर की उधर हो जाती है। गत चुनावों में तो यहां पगडी धारक इतने ज्यादा कोंफिडेंस में आ गए कि हर हाल में पगड़ी विजय की चर्चा करने लगे। लेकिन इस चुनावों में गमछे वाले प्रत्याशी भी मजबूत स्थिति में नजर आ रहे है। ऐसे में अब यहां सफेद पगड़ी वालों को 1907 में अंग्रेजों के खिलाफ किए गए पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन की चर्चाएं अंदर ही अंदर सुगलने लगी है। लेकिन इस बार की भीड़ एवं जोश इस कदर है कि सफेद पगड़ी के एकजुट होने के बजाए एक दूसरे के सामने ओर ज्यादा खिंचना ही नजर आ रहा है। पहले जहां पगड़ी धारकों की राजनीति केवल नाम की जीत तक सीमित थी वहीं अब युवा मैदान में आ गए है एवं सभी अपने-अपने लक्ष्यों को ध्यान में रख कर राजनीति कर रहे है। तो ऐसे में पगड़ी एकजुट होने से ज्यादा जरूरी लाभ-हानी दिख रही है।
ईमानदारी की चर्चाओं में डीजल घोटाले का जोर, हंगामा है हर ओर।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। चुनावों के दौरान हर प्रत्याशी ईमानदारी से क्षेत्र के विकास की चर्चांए कर रहा है लेकिन मजे की बात यह है कि श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में यहां के नेताओं को मिला दिया जाए तो एक मोटे अनुमान में प्रतिदिन लाखों रुपए का डीजल गाडियों में फूंका जा रहा है। दिहाड़ी की तो बात ही नहीं करते अेकेले डीजल डीजल में करोड़ों का चुनाव इन प्रत्याशियों पर पड़ेगा। जब इतनी बड़ी रकम बंट रही हो तो घोटाले की चर्चा ना हो ऐसा संभव ही नहीं। ईमानदारी से विकास की चर्चाओं के बीच पार्टी प्रत्याशियों के कार्यालयों में से डीजल घोटालों की चर्चाएं निकल कर बाहर आ रही है। और तो और सबसे बड़ी पार्टी के प्रत्याशी के कार्यालय के बाहर तो डीजल को लेकर इस कदर हंगामा मचा कि कलह सड़क पर आ गई। बात यहां तक बिगड़ गई कि देख लेने एवं दूसरे के कार्यालय में मौजूद तक रहने पर ही पहले ने कार्यालय आना ही छोड़ देने की धमकी दी। जैसे तैसे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने मामला तो शांत करवाया लेकिन सड़क पर हुए हंगामे की चर्चा तो होनी ही थी। इसी प्रकार छठां चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी ने तो इस डीजल घोटाले के हंगामे से बचने के लिए डीजल पर्चियों की जगह नकदी रुपए ही देने का नियम बना लिया है। वहीं डीजल घोटाले में कई दिनों तक लाखों की चपत सहने के बाद अब समाजसेवा करने वाले प्रत्याशी ने तो अपने दौरे के दौरान सुबह एवं शाम दोनो समय गाडियों की वीडियोग्राफी करवा कर गिनती करवाना शुरू कर दिया है। उड़ती उडती चर्चा यह भी है कि संघर्ष को हथियार बनाने वाले प्रत्याशी के खेमे में भी इस बार डीजल की चर्चाएं है।