श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 23 दिसम्बर 2020। श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में इन दिनों नगरपालिका आम जनता को पीड़ित करने का माध्यम बन गई है। खुद पालिका में निर्माण कार्यो में माध्यम से करोड़ो के भ्रष्टाचार के आरोपों के मध्य अब शहर में आम लोगों से भी अवैध वसूली शुरू हो गयी है। यह आरोप इन दिनों कस्बे में जनता के दान से संचालित होने वाली समस्त गौ-शालाओं से जुड़े गौसेवियों सहित आम लोग लगा रहे हैं। प्रकरण कुछ इस प्रकार है की कस्बे में मृत पशु उठाने के नए ठेके के बाद गौशालाओं में प्रति पशु 200 रुपये ओर निजी पशुपालकों से 500 रुपये मृत पशु उठाने के लिए जा रहे हैं। इसके अलावा कस्बे में बड़ी संख्या में खाली पड़े प्लॉट में अगर कोई पशु मर जाये तो पड़ोसियों को दुर्गंध से परेशान होकर अपनी जेब से आखिर पैसे देकर ही वो पशु उठवाने पड़ते हैं। हालांकि कस्बे में नगरपालिका द्वारा मृत पशुओं को उठाने के लिए ठेका किया गया था और अभी से पहले कभी ऐसे मजबूर करके पैसे नहीं वसूले जाते थे। हालांकि पहले भी मृत पशु उठाने वाले श्रमिक चाय पानी के नाम पर खर्च तो लेते थे लेकिन अब ऐसे रेट बांध कर वसूली किये जाने से क्षेत्र में आमजन परेशान हैं। हालात यह है कि विरोध करने या गौशाला संचालकों के कुछ कहने पर पशुओं को नहीं उठाने की धमकी भी दी जा रही है। आम नागरिक भी रूपए नहीं दें तो उनकी गली में एक सप्ताह तक मृत पशु को नोचतें कुत्ते व बदबू से जीना मुहाल हो जाता है और आखिर में उन्हें रूपयों की हाँ करने पर ही ठेकेदार द्वारा पशु को उठा ले जाता है। नागरिक इस बात की शिकायत कई बार पालिका प्रशासन को कर चुके है परन्तु पालिका को कस्बे की व्यवस्था से लेना देना ही नहीं है और अधिकारी सब कुछ जानते हुए अनजान बन रहें है। पालिका अधिकारी उल्टे ठेका केवल गलियों के पशु उठाने की बात कह कर रुपये वसूलने की हिमायत भी कर रहे हैं। कस्बे का हर व्यक्ति यही सवाल उठा रहा है कि क्या पालिका का अधिकारी वर्ग केवल राजनीतिक शह पर तोड़फोड़ की कार्रवाई कर विवाद ही पैदा करेगा या कस्बे में आम जनता की सुध भी लेगा।