May 19, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 1 जून 2021। नियमित योग करने से इम्यून सिस्टम (Immune System) को बेहतर बनाया जा सकता है। इम्यूनिटी ही हमें संक्रमण, वायरल से बचाने में मदद करती है। अगर हमारी इम्यूनिटी अच्छी है तो हम किसी भी वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infection) से बच सकते हैं।

त्रिकोणासन (Triangle Pose)
त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास कर इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं।इस मुद्रा में त्रिभुज की आकृति बनाई जाती है इसलिए इसे त्रिकोणासन कहा जाता है। यह योगासन प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए सबसे अच्छे योग में से एक माना जाता है। इस योगासन को सुबह उठकर करना फायदेमंद माना जाता है।
विधि
1.पांव एक साथ जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को जांघों के बगल में ही रहने दें। आप ताड़ासन में भी खड़े रह सकते हैं।
2.अपने पैरों के बीच में 3 फुट का फासला रखें और अब अपने बाहों को कंधे तक फैलाएं।
3.धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी दाईं बांह को सिर के ऊपर ले जाएं ताकि वह कान को छूने लगे।
4.अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को बाईं ओर झुकाएं।
घुटने नहीं मोड़ें और हाथ को कान से नहीं हटने दें।
5.अंतिम मुद्रा में आपकी दाईं बांह जमीन के समांतर और बाईं बांह बाएं पांव के समांतर होनी चाहिए, लेकिन बांह उस पांव पर टिकी नहीं होनी चाहिए।
6.धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़े और अपने हिसाब से इस मुद्रा को बनाए रखें।
7.सांस लेते हुए धीरे-धीरे पुरानी स्थिति में आ जाएं।
8.इसी क्रिया को दूसरी ओर से भी दोहराएं।
9.यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।
त्रिकोणासन के फायदे
1. पेट की चर्बी कम करता है।
2. चेहरे को चमकदार बनाता है।
3. हाइट बढ़ाता है।
4.फेफड़ों की कैपेसिटी बढाता है।
5.मधुमेह में लाभकारी है।
6. शरीर के सभी अंगों की मांसपेशियों को लचीला और मजबूत बनाता है।
7.सायटिका में उपयोगी है।
8.स्टैमिना बढ़ाता है।
सावधानियां
1.बहुत अधिक कमर दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
2.स्लिप डिस्क वाले को इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए।
3.High और low BP में इसको करने से बचना चाहिए।
4.अगर सिर में चक्कर आ रहा हो तो इसका अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
5.गर्दन और पीठ में अधिक दर्द होने पर इसके प्रैक्टिस से बचना चाहिए।
6.माइग्रेन में इसको नहीं करनी चाहिए।
वैज्ञानिक आधार
त्रिकोणासन में पेट की मांसपेशियों पर स्ट्रेचिंग और तनाव पैदा होने से अतिरिक्त चर्बी कम होने लगती है। जांघों और हाथों की मांसपेशियों पर भी समान प्रभाव पड़ता है जिसके कारण उन्हें सुंदर शेप मिलता है। पेन्क्रियाज पर मसाज होने से इन्सुलिन का स्त्राव नियमित होता है और डाइबिटीज़ टाइप 1 और 2 दोनों नियंत्रण में आती है। मेरुदंड की कशेरुकाओं में खिंचाव और लचीलापन बढ़ता है जिसके कारण एक उम्र तक इसके करने से लंबाई भी बढ़ती है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर की प्रत्येक मांसपेशी ऊर्जावान बनती है और उसकी कार्यदक्षता में वृद्धि होती है।
विशेष- त्रिकोणासन करने से पूर्व वार्मअप करना जरूरी है और संतुलन बनाएं रखना जरूरी है।

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