श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। भारत में संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा के लिए इससे सबंधित अपराधों को समझना बहुत ज़रूरी है। संपत्ति, चाहे मूर्त हो या अमूर्त हो किसी भी व्यक्ति की आजीविका का एक ज़रूरी हिस्सा होती है। भारतीय न्याय सहिंता के प्रावधान इन संपत्तियों को गैरकानूनी कृत्यों से बचाने में मदद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि अपराधियों को उचित रूप से दंडित किया जाए। इससे न केवल कानून का शासन कायम रहता है बल्कि संपत्ति के मालिकों में सुरक्षा की भावना भी पैदा होती है, जिससे सामाजिक स्थिरता और आर्थिक आश्वासन में योगदान मिलता है।
जानतें है सम्पति से सबंधित अपराध और सजा:-
1. चोरी:- बीएनएस कि धारा 303 में चोरी को परिभाषित किया गया है। किसी दूसरे व्यक्ति की चल संपत्ति को उसकी सहमति के बिना बेईमानी से छीनने के कृत्य को चोरी के रूप में परिभाषित किया गया है। चोरी का सार संपत्ति की आवाजाही है, जिसका उद्देश्य मालिक को स्थायी या अस्थायी रूप से इसके उपयोग से वंचित करना है। इसका एक सामान्य उदाहरण किसी सार्वजनिक पार्क से साइकिल चुराना है। कानून में चोरी के लिए कठोर दंड का प्रावधान है, खासकर जब इसमें किसी घर में घुसना या रात में चोरी करना शामिल हो, जिससे अपराध की गंभीरता बढ़ जाती है।
सजा:- इसमें अपराध की परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग सजाएं दी जाती हैं। साधारण चोरी के लिए, सजा तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकती है। अधिक गंभीर परिस्थितियों में चोरी, जैसे कि घर से चोरी या गंभीर चोट पहुँचाना, अधिक कठोर दंड का कारण बन सकता है, जिसमें कारावास की अवधि बढ़ाना भी शामिल है। वहीं विशेष बात ये है कि अगर चोरी कि गई सम्पति का मूल्य 5 हजार से कम है तो सामुदायिक सेवा कि सजा दी जाएगी।
2. झपटमारी:- बीएनएस कि धारा 304 के अनुसार यदि चोरी के लिए अपराधी अचानक या शीघ्रता से या बलपूर्वक किसी व्यक्ति से या उसके कब्जे से किसी सम्पत्ति को छीन लेता है या ले लेता है तो झपटमारी करने वाले को तीन वर्ष तक का कारावास व जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
3. पूजा स्थल या यातायात के साधन में चोरी:- बीएनएस के अनुसार किसी यातायात के साधन से कोई सामान या किसी पूजा स्थल की मूर्ति या कोई प्रतीक चोरी करेगा या किसी सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण के किसी संपत्ति की चोरी करेगा तो अपराधी को 7 वर्ष तक की जेल व जमाने की सजा दी जा सकती है।
4. उद्दापन व जबरन वसूली:- बीएनएस की धारा 308 में भाग 1 से 7 तक इस तरह से अपराध के विभिन्न प्रकार बताये गए है। जबरन वसूली वह होती है जब किसी व्यक्ति को जानबूझकर खुद को या किसी अन्य को चोट पहुंचाने के डर में डाल कर बेईमानी से उससे संपत्ति या मूल्यवान वस्तु प्राप्त कि जाती है। चोरी के विपरीत, जबरन वसूली में पीड़ित की सहमति शामिल होती है, हालांकि यह सहमति दबाव में प्राप्त की जाती है। जबरन वसूली का एक उदाहरण ब्लैकमेल करना हो सकता है। जिसमें भुगतान न किए जाने तक संवेदनशील जानकारी प्रकट करने की धमकी देना होता है। बीएनएस में जबरन वसूली को इसके बलपूर्वक स्वभाव और पीड़ित पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रभाव की संभावना के कारण एक गंभीर अपराध माना गया है।
सजा:- नए कानून में इस तरह के अपराध को काफी गंभीर अपराध माना गया है। इस तरह के अपराध करने वाले को आजीवन कारावास या ऐसा कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष तक हो सकती है व साथ ही जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।
5. लूट:- बीएनएस में लूट के अपराध को चोरी व जबरन वसूली जैसे अपराधों कि तरह का ही अपराध माना गया है। इस तरह की चोरी को लूट माना गया है जब चोरी करते हुए अपराधी द्वारा किसी को मृत्यु का भय दिखाया गया हो या किसी को मारने की कोशिश की गई हो। साथ ही जबरन वसूली का एक उदाहरण जैसे A द्वारा किसी व्यक्ति को फोन किया जाता है कि तुम्हारा बच्चा मेरे कब्जे में है और तुम मुझे ₹100000 भेजो नहीं तो इसे मार दूंगा इस तरह की घटना उद्यापन के अंतर्गत आती है और इसे भी लूट ही माना गया है।
सजा:- जो कोई लूट करेगा उसे 10 वर्ष तक के कारावास की सजा दी जाएगी व लूट करने का प्रयास करेगा उसे 7 वर्ष तक की सजा दी जाएगी। विशेष बात यह है कि अगर लूट किसी राजमार्ग पर या सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की जाएगी तो उसे कम से कम 14 वर्ष तक का कारावास हो सकेगा व लूट करते समय अगर किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की क्षति या हानि पहुंचाई गई है तो अपराधी को आजीवन कारावास या ऐसा कठिन कारावास जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की होगी से दंडित किया जाएगा।
6. डकैती:- बीएनएस की धारा 310 के अनुसार जब पांच या पांच से अधिक मिलकर किसी प्रकार की लूट करते हैं या किसी प्रकार की लूट करने का प्रयास करते हैं तो इस प्रकार के अपराध को डकैती कहा जाता है व कोई भी व्यक्ति जो इस प्रकार की लूट करता है या ऐसा प्रत्यन करता है या उसमें मदद करता है उसके बारे में कहा जाता है कि वह डकैती करता है।
सजा:- जो कोई डकैती करेगा उसे आजीवन कारावास या 10 वर्ष का कठिन कारावास व जुर्माने से दंडित किया जाएगा। 5 या 5 से अधिक व्यक्ति जो मिलकर डकैती कर रहे हैं उनमें से कोई व्यक्ति अगर किसी व्यक्ति की हत्या कर देता है तो घटना में शामिल प्रत्येक अपराधी को आजीवन कारावास, मृत्युदंड या 10 वर्ष के कठिन कारवास से दंडित किया जाएगा। कोई डकैती करने की तैयारी करता है तो उसे 10 वर्ष तक के कठिन कारावास की सजा हो सकती है।
7. चुराई हुई सम्पति रखना या प्राप्त करना:- बीएनएस के अनुसार वह सम्पत्ति जो चोरी के द्वारा, लूट के द्वारा, डकैती के द्वारा या छल से प्राप्त की गई है को चुराई हुई संपत्ति माना जाता है।
सजा:- चुराई हुई संपत्ति के बारे में जानकारी होते हुए भी कोई व्यक्ति अगर इसे अपने पास रखेगा या प्राप्त करेगा तो 3 वर्ष तक की जेल व जुर्माने से दंडित किया जाएगा। डकैती की हुई संपत्ति को रखने या प्राप्त करने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी। चुराई हुई संपत्ति को छुपाने यह संपत्ति को इधर-उधर करने वाले अपराधी को भी 3 वर्ष तक का कारावास हो सकेगा।
8. छल:- किसी व्यक्ति को विश्वास में लेकर या किसी व्यक्ति के उसके साथ कपट करना भारतीय न्याय संहिता के अनुसार छल मान गया है। किसी प्रकार के तत्वों को छुपाना भी छल ही है। जैसे A किसी व्यक्ति को नकली सैंपल दिखाता है और यह असली माल है और असली बता कर उसे विक्रय कर देता हैl इस प्रकार के अपराधों पर भी तीन वर्ष से 7 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।