पंचायत चुनावों का पोस्टमार्टम- पार्ट- 2 विधायकी के सपने तोडे जनता ने।

श्रीडूंगरगढ टाइम्स 21 जनवरी 2020। जनता जनार्दन है और जनता चाहे तो फर्श से अर्श पर एवं जनता चाहे तो अर्श से फर्श पर ला पटके। यही बात साबित हुई श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के पंचायत चुनावों में। पंचायत चुनावों के परिणामों का पोस्टमार्टम करते हुए श्रीडूंगरगढ़ टाईम्स की टीम ने यह रोचक तथ्य पाया है कि क्षेत्र की जनता ने सभी बडे नेताओं के सपनों को धराशाही किया है। देखिए हमारी विशेष पेशकश पंचायत चुनाव का पोस्टमार्टम भाग दो-
पंचायत चुनाव 2020 में जहां कई नए चेहरे उभर कर आए है वहीं गत विधानसभा चुनावों में विधायक पद की दावेदारी करने वाले कई बडे नेताओं के विधायकी के सपने को जनता ने पंचायत चुनाव में अपने गृह क्षेत्र में ही हरा कर तोड़ दिए है। लंबे समय से राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय ये नेता अब अपनी गलतियां ढुंढ रहे है एवं आत्ममंथन के साथ अपना अपना भविष्य तलाश रहे है। कांग्रेस के दिग्गज नेता तुलछीराम गोदारा, जो स्वंय क्रय विक्रय सहकारी समिति के निर्वतमान अध्यक्ष है, कई बार के सरपंच, पंचायत समिति सदस्य है। उन्होने गत चुनावों में कांग्रेस से एमएलए टिकट की दावेदारी के लिए पुरा जोर लगाया था लेकिन पंचायत चुनाव 2020 में अपनी गृह पंचायत में वह सरपंच का चुनाव बुरी तरह से हारे है। अपनी पंचायत चुनाव में तुलछीराम गोदारा का चौथे नम्बर पर रहना साबीत कर रहा है कि जनता अब बडे नेता नहीं अपने नेता ढुंढ रही है। इसी प्रकार बापेऊ के पूर्व सरपंच श्रवण मदेरणा, लखासर के पूर्व सरपंच लक्ष्मण खिलेरी, बरजांगसर की पूर्व सरपंच प्रियंका सिहाग भी गत चुनावों में एमएलए दावेदारी की बात कर रहे थे।
भाजपा से जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि धर्माराम कुकणा भी विधानसभा चुनावों में भाजपा के जाट दावेदारी जता रहे थे लेकिन इस चुनाव में उनकी गृह पंचायत में 100 वोट भी नहीं मिल पाना इन नेताओं को आईना दिखा रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता मंगलाराम गोदारा भले ही इस चुनाव में अधिकांश पंचायतों के सरपंच अपने पक्ष के जीतने को अपनी सफलता बता रहे है लेकिन उनके पैतृक गांव ऊपनी में उनका जिसे सर्मथन प्राप्त था वह उम्मीदवार हार गया है। अपने ही गांव में हार जाने ने गोदारा की साख पर भी सवाल उठा दिया है। माकपा विधायक गिरधारी महिया अपने पैतृक गांव दुलचासर में व भाजपा देहात जिलाध्यक्ष ताराचंद सारस्वत अपने पैतृक गांव गुंसाईसर बडा में बडी मुश्किल से अपनी साख बचा पाए है।
पंचायत चुनावों के परिणामों ने यह तो साबीत कर ही दिया कि जनता अब किसी भी नेता को मुगालते में नहीं रहने देगी एवं सभी नेताओं को अपने अपने क्षेत्र में धरातल पर जुडाव रखना ही होगा।