श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 अगस्त 2021। रंग बिरंगी राजस्थानी पोशाकों में सजी महिला रचनाकारों ने राजस्थान की मिट्टी का गुणगान किया तो रानी पद्मावती के जोहर को प्रणाम करते हुए वीर शिवा की दिलेरी और क्षत्राणी हाड़ा रानी की वीरता का ओजपूर्ण वर्णन भी किया, देहज हत्या और स्त्री समस्याओं को मंच से उठाया तो वहीं राजस्थानी भाषा को 22वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग एक स्वर में सभी कवयित्रियों ने उठाई। ये माहौल नजर आया श्रीडूंगरगढ़ में माहेश्वरी सेवा सदन में आयोजित ऐतिहासिक राजस्थानी कवयित्री सम्मेलन के मंच का। रविवार शाम को महिला लेखिकाओं से सजा मंच महिला संचालक और महिला रचनाकारों का अद्भुत साहित्य समागम समारोह का आयोजन किया गया। ये आयोजन राजस्थली त्रैमासिक पत्रिका के 45 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित हुआ और राज्य भर से आई हुई कवयित्रियों ने राजस्थान की आन बान शान की बात करते हुए राजस्थानी भाषा में महिला लेखन को समृद्ध करने की बात भी कही गई। समारोह में मारवाड़ी, हाड़ौती, ढूंढाड़ी भाषा की रचनाओं ने श्रोताओं के मन में रस घोला और बोलियों की सीमाओं को तोड़ते हुए राजस्थानी भाषा का गर्व एकसार सभी कवयित्रियों में नजर आया। सभी महिला साहित्यकारों का चुनरी औढ़ाई कर सम्मान किया गया। कवयित्री सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. धनजंया अमरावत ने की और शकुंतला शर्मा मुख्य अतिथि रही। विशिष्ट अतिथि डॉ. जेबा रशीद, डॉ. अनुश्री राठौड़, संतोष चौधरी, विमला महरिया के साथ श्रीडूंगरगढ़ से हरप्यारी देवी बिहाणी उपस्थित रही। मंच संचालन राजस्थली पत्रिका की संयोजिका मोनिका गौड़ ने किया। मंचासीन सभी साहित्यकार महिलाओं ने नई कवयित्रियों के लेखन को सराहा व उनकी रचनाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें नियमित लेखन से जुड़ने की बात भी कही। बाहर से आई सभी महिला कवयित्रियों ने मंच से अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और राजस्थानी भाषा को 22 वीं अनुसूची में जोड़ने की पूरजोर मांग भी की। कार्यक्रम में राजस्थली के संपादक श्याम महर्षि, प्रबंध संपादक रवि पुरोहित, बजरंग शर्मा सहित अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहें।