May 5, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 28 जून 2021। वीरभद्रासन में वीरभद्र शब्द भगवान शिव के एक अंश या अवतार का नाम है इसलिए इस आसन को वीरभद्रासन कहते हैं। अंग्रेजी में वारियर पॉज (Warrior pose) के नाम से जाना जाता है। इस आसन को करने पर पैर के पंजे, घुटने, जांघों और कुल्हे को मजबूत करने में मदद मिलती है, यही नहीं इस आसन के अभ्यास से शारीरिक तथा मानसिक संतुलन भी बना रहता है।

विधि
1.वीरभद्रासन करने के लिए सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
2.दाएं पैर को 3 से 4 फीट आगे की ओर करें।
3।गर्दन, पीठ, हाथों और घुटनों को सीधा करें।
4.ध्यान केंद्रित करते हुए सांस को सामान्य रूप से लेते और छोड़ते रहे।
5.अब अपने दाएं पैर के घुटने को 90 डिग्री मोड़े और बाएं घुटने को सीधा रखें।
6.हाथों को बगल से सीधा ऊपर की ओर उठाएं और दोनों हाथों को ऊपर मिला कर नमस्कार करें।
7.अपने गर्दन को सामने की तरफ सीधा करें या ऊपर आसमान की तरह भी कर सकते हैं।
8.शरीर को स्थिर रखें और सांस को लेते और छोड़ते रहे।
9.कुछ समय स्थिर रहने के बाद धीरे-धीरे पहले हाथों को और फिर पैरों को पुनः सावधान की मुद्रा में ले जाएं।
10. अब इस आसन को बाएं पैर से दोहराएं।
इस आसन को पहली बार करने पर कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है परंतु इस आसन का अभ्यास करते रहने पर सरलता से किया जा सकता है।

वीरभद्रासन में सावधानियां
1.पैरों में किसी प्रकार के गंभीर दर्द या चोट की समस्या में यह आसन नहीं करना चाहिए।
2.घुटनों में किसी प्रकार की परेशानी या गम्भीर दर्द है तो यह आसन ना करें।
3.इस आसन को चक्कर आने की समस्या में नहीं किया जाना चाहिए।
4.कंधों में या गर्दन के किसी प्रकार के गंभीर दर्द में यह सब नहीं करें।

वीरभद्रासन करने के लाभ
1.इस आसन के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाने में मदद मिलती है।
2.पैरों और कंधों को मजबूत करने में लाभकारी माना जाता है।
3.इस आसन को करने पर सबसे अधिक लाभ घुटनों को मजबूत करने में है।
4. इस आसन से जांघ की चर्बी को कम किया जा सकता है।
5.रीड की हड्डी को मजबूत तथा लचीला बनाता है।
6.मोटापा को कम करने में यह लाभकारी है।
7.कुल्हों, जांघो, घुटनों और पंजों में खिंचाव लाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!