


श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 25 फरवरी 2023। क्षेत्र के गांव लिखमीसर उत्तरादा निवासी हजारीराम ज्याणी ने आज के दौर में कई घर टूट जाने का कारण बने दहेज को सख्ती से ना कहा और राजस्थानी भाषा के प्रति अपना अगाध प्रेम भी दर्शाने की मुहिम अपने घर से प्रारंभ कर एक मिसाल पेश की है। ज्याणी ने राजस्थानी भाषा को मान्यता और महिला समानता की बात कहते हुए ना केवल अपने दो बेटों का विवाह बिना दहेज, बिना गहनों व बिना सीख के लिफाफे लिए किया है बल्कि उन्होंने विवाह का कार्ड भी राजस्थानी भाषा में छपवाया है। इंडियन नेवी में सेवारत मुखराम व उनके भाई गौरीशंकर का विवाह 22 फरवरी को गांव मसूरी निवासी लेखराम खोड की पौतियों द्रोपती व हीरा से संपन्न हुआ। ज्याणी ने श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स से बातचीत में बताया कि दहेज के लालच में कई बार संस्कारवान कन्याओं को छोड़ देने की गल्तियां करते मैंने समाज में अनेक लोगों को देखा है। तब से ठान लिया की मैं अपने घर दो संस्कारवान बेटियां लाऊंगा ना की कोई धन की तिजोरी। उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा से प्रेम है और मातृभाषा को बढावा मिले इसलिए विवाह कार्ड भी मातृभाषा में छपवाया। समठूणी में एक रूपया व नारियल के साथ ही बेटियां विदा हुई तो ऐसा प्रगतिशील परिवार मिलने से दोनों दुल्हन के भाग्य को भी उनके परिजनों व ग्रामीणों ने सराहा। ज्याणी परिवार ने समाज के सक्षम परिवारों से सामूहिक रूप से अपील करते हुए दहेज की जगह कन्या को महत्व देने और समाज में उनका सम्मान करने की बात कही।



