श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 मार्च 2024। मोमासर के प्रसिद्ध चित्रकार बजरंग सुथार द्वारा आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन आज कथा वाचक संतोष सागर महाराज ने ईच्छाओं व वासनाओं से मुक्त होने की प्रेरणा दी। महाराज ने कहा कि कथा चित्त में परिवर्तन कर सन्मार्ग पर ले जाती है और भागवत कथा सुनकर भी भगवत प्रेम नहीं उपजे उसका मनुष्य जीवन निष्फल ही है। महाराज ने कहा कि आज जीवन में संतुष्टि नहीं और यही तनाव व अशांति का यही कारण है। जो संतुष्ट है वही परम योगी है। जो ईच्छा व वासना से मुक्त नहीं होगा उसे इह लोक या परलोक में भी शांति नहीं मिल सकती है। उन्होंने सद्वृत्तियों को धारण करने की बात कहते हुए कहा कि दूसरों को कष्ट, तकलीफ देने वाले है उन्हें शांति नहीं मिल सकती। व्यक्ति दूसरों के कष्ट कम करने के प्रयास करे तो उसके भी जीवन में आनंद का संचार होगा। उन्होंने संत दर्शन का महत्व बताते हुए कहा कि मोह की गांठ खुलेगी तभी मोहन के दर्शन होंगे। महाराज ने अच्छे श्रोता के गुण बताए। उन्होंने अर्जुन के पौत्र परीक्षित की कथा सुनाते हुए कहा कि आज लोग कहते है बच्चे कहना नहीं मानते। परंतु परिजन भी ध्यान देवें की बच्चे अपने ही परिवार के बड़ो को देखकर सीख रहें है। इसलिए पहले परिवार के बड़े अपने व्यवहार, आचार विचार का परिशोधन करें जिससे बच्चे उन्हें देखकर प्रेरणा ले सकें। महाराज ने इंद्रियों के संयम की बात कहते हुए वृदांवन धाम का महत्व बताया। भागवत कथा प्रसंगो के साथ लोकजीवन में उपयोगी अनेक प्रसंग सुनाए। कथा में बीच में अनेक भजन व कीर्तन गाया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने खूब आनंद लिया। महाराज ने रविवार को कथा पांडाल में श्रीकृष्ण जन्म का उत्सव मनाने की जानकारी दी। कथा के दौरान जसनाथी संप्रदाय के लिखमादेसर हंसोजी धाम के संत सोमनाथजी महाराज पधारें। उनका व्यासपीठ की ओर से चादर भेंट कर सम्मान किया गया। कथा में विश्वकर्मा कौशल बोर्ड के अध्यक्ष रामगोपाल सुथार को दुपट्टा पहना कर भगवान श्रीराम की तस्वीर भेंट कर सम्मान किया गया। आयोजक केसराराम सुथार के परिवारजनों ने कथा श्रवण सहित व्यवस्था संबंधी कार्य संभाले। बड़ी संख्या में ग्रामीण में कथा में शामिल हुए।