






श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 22 जून 2021। कर्ण पीड़ासन एक योग है जो कि तीन शब्दों से मिलकर बना है कर्ण + पीड़ + आसन = कर्ण पीडासन जिसमें कर्ण = कान , पीड़ = दबाना और आसन = मुद्रा।
मतलब इस आसन में घुटनों द्वारा दोनों कान दबाए जाते हैं। इसलिए इस आसन को कर्ण पीड़ासन के नाम से जाना जाता है । इस आसन को साफ-स्वच्छ जगह पर ही करना चाहिए।
विधि
1. सबसे पहले स्वच्छ-साफ व हवादार स्थान पर दरी या चटाई बिछा कर उस पर पीठ के बल लेट जाएं।
2.अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ें और दोनों अपने दोनों हाथों को दोनों बगल में कमर के पास लगाकर सीधा रखें तथा हथेलियों को नीचे की तरफ करके रखें।
3.फिर अपने दोनों पैरों को एक साथ उठाकर धीरे-धीरे ऊपर सिर की ओर लाएं।
4.अब दोनों पैरों को दोनों कान से सटाकर सिर के दोनों ओर रखें तथा पंजे व घुटनों को नीचे फर्श से टिकाकर रखें। इस स्थिति में 10-12 सेकंड तक रहे।
5.अब धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं और कुछ सेकंड तक आराम करें और इसके बाद फिर इस क्रिया को करें। इस क्रिया को प्रतिदिन 5-7 बार करने का जरूर प्रयास करें।
सावधानी
1. योग हमेशा खाली पेट करना चाहिए
2. पैरों को झटके से ऊपर नहीं ले जाना चाहिए।
3. शुरुआत में यह योग धीरे – धीरे बढ़ाना चाहिए।
4. गर्दन में मोच आने पर यह योग नहीं करना चाहिए
कर्ण पीड़ासन योग के फयदे
1. इस योग को करने से पूरा शरीर स्वस्थ रहता है ।
2. शरीर से आलस्य खत्म होता है ।
3. पाचन तन्त्र मजबूत होता है ।
4. सुषुम्ना में मौजूद सभी नाड़ियों जागृत हो जाती है।
5. स्नायु तंत्र मजबूत होता है।