जाने स्वस्तिक आसन की विधि व फायदे राजू हीरावत के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 20 जून 2021। स्वस्तिक का अर्थ होता है शुभ। यह ध्यान के लिए एक उम्दा आसन है। यह बहुत सारी शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है। यह तन एवं मन में संतुलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है।

विधि
1.सबसे पहले पांव आगे फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं।
2.अब आप बाएं पैर को भीतरी दाईं जांघ पर टिकाएं और दाएं पांव को भीतरी बाईं जांघ पर टिकाएं।
3.रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
4.ज्ञान मुद्रा में बैठें।
5.आपके घुटने जमीन से स्पर्श करे।
6.आपका संपूर्ण शरीर, कमर तथा पीठ एक सीध में होनी चाहिए।

सावधानियां
1.साइटिका से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
2.रीढ़ से सम्बंधित परेशानी होने पर इस आसन का अभ्यास न करें|
3.यह आसन उनको नहीं करना चाहिए जिनके घुटने में दर्द हो।

लाभ
1.यह आसन आपके जीवन को आनंदमय बनाता है।
2.यह आसन ध्यान के लिए एक अतिउत्तम योगाभ्यास है।
3.इसके अभ्यास से तनाव एवं चिंता में बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4.अगर आपको बहुत पसीना आता है तो इस आसन के करने से बहुत लाभ मिलेगा।
5.जिनके पांव सर्दियों में बहुत ठंडे रहते है उसके लिए यह योगाभ्यास लाभकारी है
5.यह वायुरोग को दूर करता है।
6.स्त्री, पुरुष के विशेष अंगों के रोगों को दूर करने में सहायक है।
7.इसके अभ्यास से सोचने एवं समझने की शक्ति बढ़ जाती है।