May 15, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 3 जुलाई 2021। पवन का अर्थ है वायु और मुक्त का अर्थ होता है निकालना। इसका मतलब यह हुआ कि ऐसा आसन जो शरीर में मौजूद आवश्यकता से अधिक गैस को बाहर निकालने में सहायक होता है। यह आपके शरीर से हानिकारक गैस को बाहर निकालने में भी मदद करता है और आपको बहुत सारी बीमारियों एवं परेशानियों से बचाता है। चूँकि यह शरीर से गैस को बाहर निकालता है इसलिए इसको Gas Releasing Yoga भी कहते है।

विधि
1.सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।
2.दोनों पैरों को फैलाएं और इनके बीच की दूरी को कम करें।
3.अब दोनों पांव उठाएं घुटने मोड़ें।
4.घुटनों को बांहों से घेर लें।
5.सांस छोड़े, घुटनों को दबाते हुए छाती की ओर लाएं। सिर उठाएं तथा घुटनों को छाती के निकट लाएं जिससे ठोड़ी घुटनों को स्पर्श करने लगे।
6.जहाँ तक सम्भव हो सके इस मुद्रा को मेन्टेन करें।
7.फिर सांस लेते हुए पैरों को जमीन पर लेकर आएं।
8.यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

सावधानी
1.अगर आपके कमर में दर्द हो तो इस आसन का अभ्यास न करें।
2.घुटने में दर्द होने पर इस आसन को न करें।
3.भोजन के तुरंत बाद यह आसन कदापि न करें।

लाभ
1. यह पेट की चर्बी को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। यह पेट की चर्बी को कम करते हुए आपके उदर को फ्लैट या समतल बनाता है।
2. यह आसन करने से पेट से जहरीली गैसें निकल जाती हैं।
3.यह पेट के लिए अति उत्तम योगाभ्यास है। इसके नियमित अभ्यास से आप पेट के बहुत सारी परेशानियों से बच सकते हैं।
4.यह आसन कब्ज और पेट के भारीपन से छुटकारा दिलाता है।
5. यह रीढ़ को मजबूत एवं लचीला बनाता है।
6.इसके अभ्यास से आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ एवं सुचारू रूप से चला सकते हैं।
7. इसके नियमित अभ्यास से हृदय अच्छा रहता है।
8.इसके नियमित अभ्यास से आपकी पाचन तंत्र बेहतर हो जाता है। एवं यह एसिडिटी को कम करने में लाभकारी है।

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