जाने पद्मासन करने की विधि व फायदे राजू हीरावत के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 23 जून 2021। पद्मासन संस्कृत शब्द पद्म से निकला है जिसका अर्थ होता है कमल। इस आसन में शरीर बहुत हद तक कमल जैसा प्रतीत होता है। इसलिए इसको lotus pose भी कहते हैं। पद्मासन बैठ कर किया जाने वाला एक ऐसा योगाभ्यास है जिसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह आसन अकेले शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से आपको सुख एवं शांति देने में सक्षम है। इस आसन में शारीरिक गति विधियां बहुत कम हो जाती है और आप धीरे धीरे अध्यात्म की ओर अग्रसर होते जाते हैं। तभी तो आसन को ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ट योगाभ्यास माना गया है।

विधि
1.जमीन पर बैठ जाएं।
2.दायां पांव मोड़ें तथा दाएं पैर को बाईं जांघ के ऊपर तथा कूल्हों के पास रखें। ध्यान रहे दाईं एड़ी से पेट के निचले बाएं हिस्से पर दबाव पड़ना चाहिए।
3.बायां पांव मोड़ें तथा बाएं पैर को दाईं जांघ के ऊपर रखें। यहां भी बार्इं एड़ी से पेट के निचले दाएं हिस्सेे पर दबाव पड़ना चाहिए।
4.हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों के ऊपर रखें।
5.रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
6.धीरे- धीरे सांस लें और धीरे- धीरे सांस छोड़े।
7.अपने हिसाब से इस अवस्था को बनाएं रखें। आप इसकी अवधि को 1 मिनट से लेकर 1 घंटे तक बढ़ा सकते हैं।
8.फिर धीरे -धीरे आप अपनी आरंभिक अवस्था में आ जाएं।

सावधानियां
1.जिनको घुटने में दर्द हो उन्हें पद्मासन नहीं करना चाहिए।
2.टखने के दर्द में इस आसन को करने से बचना चाहिए।
3.साइटिका में इसे नहीं करना चाहिए।
4.कमर दर्द में इसे करने से बचना चाहिए।
5.वैरिकोज नस की स्थिति में इस आसन को न करें।

लाभ
1. पद्मासन ध्यान के लिए एक अति उत्तम योग अभ्यास है जो आपको शारीरिक, मानसिक एवम आध्यात्मिक ऊंचाई की ओर लेकर जाता है और ध्यान की ओर अग्रसर कराते हुए आपको शांति तथा धैर्य प्रदान करता है।
2. इस आसन के अभ्यास से आपके चेहरे में एक नई प्रकार की रौनक आ जाती है और आपका चेहरा खिला खिला लगता है।
3.यह आपके रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखते हुए इसको मजबूत बनाने में सहायक है।
4. यह रीढ़ के निचले अंतिम छोर तथा अंस मेखला के क्षेत्र में अतिरिक्ति रक्त प्रवाह कर वहां की तंत्रिकाओं को बल देता है।
5.यह पाचन क्रिया को बेहतर करते हुए कब्ज को दूर करने में सहायक है। 6.इस आसन के अभ्यास से एकाग्रता को बढ़ाने में मदद मिलती है।
7.इस योग अभ्यास से सांस के फूलने को कम किया जा सकता है।
8.यह पैरों में अधिक पसीना आने, दुर्गंध आने या ठंडा/गर्म लगने की समस्याओं को दूर करने में लाभकारी होता है।
9. इस आसन के करने से पैरों में खून का बहाव कम हो जाता है जिससे खून उदर के अंगों, मांशपेशियों एवं नसों को स्वस्थ और मजबूत बनाने में मददगार होता है।