श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 7 जून 2021।
मकरासन का नाम “मकर” शब्द पर रखा गया है। मकर का मतलब होता है मगरमच्छ। इस आसन में आप मगरमच्छ की मुद्रा में होते हैं, इस लिए नाम दिया गया “मकरासन”।
विधि
1.पेट के बल लेट जायें।
2.सिर और कंधों को ऊपर उठाएं और ठोड़ी को हथेलियों पर और कोहनियों को ज़मीन पर टिका लें।
3.रीढ़ की हड्डी में अधिक मोड़ लाने के लिए कोहनियों को एक साथ रखें (ध्यान रहे ऐसा करने में दर्द ना हो)।
4. गर्दन पर अतिरिक्त दबाव हो तो कोहनियों को थोड़ा अलग करें। अगर कोहनियाँ ज़्यादा आगे होंगी तो गर्दन पर अधिक दबाव पड़ेगा, शरीर के करीब होंगी तो पीठ पर अधिक दबाव पड़ेगा। अपने शरीर की हिसाब से कोहनियों की सही जगह चुनें। उत्तम जगह वह है जहाँ आपको पीठ और गर्दन में पूरी तरह से आराम महसूस हो।
5. पूरे शरीर को शिथिल करें और आँखें बंद कर लें।
सावधानी
यदि मकरासन करने में कैसे भी दर्द का अनुभव होता है तो इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
रूपांतरण
अगर आपकी गर्दन या पीठ में दर्द या चोट हो तो मकरासन करने में अपने सिर को ज़मीन पर ही टिका कर रखें।
मकरासन के फायदे
1.पूरे तंत्रिका तंत्र, शरीर और मन को आराम देता है, ख़ास तौर से पीठ को।
2.यह आसन स्लिप-डिस्क, कटिस्नायुशूल (साएटिका), पीठ के निचले हिस्से में दर्द या किसी अन्य स्पाइनल परेशानी से पीड़ित लोगों के लिए बहुत प्रभावी है।
3.अस्थमा के लिए यह अच्छा आसन है।
(इस संबंध में अन्य जानकारी के लिए सम्पर्क करें योग व मेडिटेशन स्पेशलिस्ट राजू हीरावत से 9414587266 व्हाट्सअप नम्बर पर)