कमलाबाई बाफना ने संथारा स्वीकार किया, चारों और से मिल रहा है सम्बल।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 12 मार्च 2020। तेरापंथ समाज में संथारा लेना अद्वितीय कार्य माना जाता है। कस्बे में कमलाबाई बाफना ने 10 मार्च को जैन धर्म का सबसे उच्च कर्म धारण कर समाज के लिए अनुकरणीय कार्य किया है। लगातार उनके जप चल रहे है। उनका परिवार गौरव के साथ उनके साधना मार्ग पर सम्बल बन कर खड़ा है। आचार्य श्री महाश्रमण जी के निर्देशनुसार श्री डूंगरगढ़ सेवा केन्द्र में विराजित साध्वी श्री कनक रेखा व सुरजप्रभा सहित सहवर्तनी साध्वियों, श्रावक -श्रीविकाओं एवं पारिवारिक सदस्यों की उपस्थिति में दिनांक 10 मार्च 2020 को दोपहर 3 बजे नेत्रदानी स्व. नेमचंदजी बाफना की धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी बाफना(महामाया वाले) को 13 की तपस्या में तिवियार संथारे का प्रत्याख्यान करवाये है।

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि अनशन करना जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। यह आत्मकल्याण का मार्ग है। आचार्य ने श्रीडूंगरगढ़ की कमलाबाई बाफना को मनोबल के साथ मार्ग पर बढ़ने व उज्ज्वल परिणाम वर्धमान रखने की बात कही। आचार्य ने कमलाबाई को जप, स्वाध्याय के मार्ग पर चल कर ध्यान केवल आत्मा में रखने की बात कही। आचार्य ने सभी परिवारजन व सम्बन्धियों को परिणामों की निर्मलता में सहयोगी बनने को कहा।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। साध्वी श्री कनक रेखा सहित अन्य साध्वियों ने कमलाबाई को संथारे का प्रत्यख्यान किया।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। कमलाबाई बाफना ने संथारा लिया व लगातार जप चल रहे है।