श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 16 फरवरी 2023। समाज में बिना दहेज के विवाह करने की अनेक पोस्ट आप सोशल मीडिया पर आजकल वायरल होते देखते है। पर इनमें से अधिकांश में नगदी नहीं ली जाती और अप्रत्यक्ष रूप से सोने-चांदी के गहने व सीख के नाम से लिफाफे लिए जाते है। ऐसे माहौल आज एक प्ररेणीय उदाहरण गांव रिड़ी से सामने आया है। यहां बीती रात ब्रिटेन से पढ़कर लौटे दुल्हे ने वास्तव में बिना दहेज के विवाह को सार्थक किया है। दूल्हे व उसके परिवार ने न केवल नगदी लेने से मना किया बल्कि गहने व लिफाफे भी नहीं लिए। गांव का गणपतराम सहू पुत्र रामकरण सहू ब्रिटेन के शहर ईडनबर्ग यूनाइटेड किंगडम की हेरिएट वॉट यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में एमए करके आए तो परिवार ने गजरूपदेसर, नोखा के आदूराम कस्वां की पुत्री सरिता से उनका विवाह तय किया। बीती रात 15 फरवरी को गणपत का विवाह संपन्न हुआ और पिता रामकरण सहू सहित परिजनों ने बिना दहेज के विवाह करने का आग्रह किया। वधू पक्ष ने बेटी को गहने देने की मनुहार की परंतु वर पक्ष ने विनम्र होकर सोने चांदी व रूपए सहित कोई दहेज लेना स्वीकार नहीं किया। शगुन में भी एक रुपया व नारियल लेकर वधू को ही वास्तव में लक्ष्मी स्वरूपा बताते हुए बारात विदा हुई तो गांव में हर किसी ने सरिता के भाग्य की सराहना की। दोनों पक्षों के रिश्तेदारों ने इस विवाह को खूब सराहा व पूरे गांव में ही नहीं क्षेत्र भर में इस विवाह की चर्चा हो रही हो।