श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 19 अक्टूबर 2022। डीएपी के लिए लाइन में नहीं लगकर सीधे डीएपी दिलवाने या सस्ती डीएपी दिलवाने का झांसा अगर कोई दे रहा तो किसान सावधान हो जाएं। नामी ब्रांड के थेलों में नकली डीएपी को किसान असली की कीमत में खरीद कर नुकसान उठा सकते है। बीकानेर कृषि उपनिदेशक कैलाश चौधरी की अगुवाई में विभागीय अधिकारियों की टीम ने दासनू रोही नोखा में मंगलवार देर शाम छापा मार कर नकली डीएपी का जखीरा पकड़ा। कृषि अधिकारी सुभाष चंद्र ने टाइम्स को बताया कि देर रात 11 बजे तक कार्रवाई जारी रही और टीम ने 439 कट्टे नकली डीएपी पकड़ी। मौके पर नामी ब्रांड उत्तम व इफको के 1000 से ज्यादा खाली कट्टे जब्त किए गए। ये नकली डीएपी का कारखाना काकड़ा नोखा निवासी महावीर पुत्र बंशीलाल विश्नोई द्वारा चलाया जा रहा था। सुभाषचंद्र ने बताया कि ये नकली डीएपी खाद मिनरल ग्रेन्यूल्स के नाम से हापुड़ यूपी से आना बताया गया है और यहां नकली डीएपी ब्रांड के थेलों में भरी जा रही थी।
ये रहें टीम में शामिल।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। कृषि विभाग की टीम ने मंगलवार को बीकानेर शहर में कई स्थानों पर स्टॉक जांच की कार्रवाई की। तभी मुखबीर से प्राप्त सूचना के आधार पर नकली डीएपी पकड़ने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया। हजारों किसानो से धोखाधड़ी कर 350 रूपए कट्टे का नकली डीएपी किसान को करीब 1300 रूपए प्रति कट्टे में दी जा रही थी। टीम भी आश्चर्य चकित रह गई और मौके से एक ट्राली, ट्रेक्टर, पिकअप जब्त किए। कृषि विभाग के उपनिदेशक कैलाश चौधरी व सहायक निदेशक अमरसिंह गिल कार्रवाई के दौरान सक्रिय रहें और कृषि अधिकारी सुभाष चन्द्र ने नकली डीएपी बनाने का ये जखीरा पकड़ा। कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत, सहायक कृषि अधिकारी राकेश व राजेश तथा कृषि पर्यवेक्षक प्रियंका टीम में शामिल रहें।
नोखा थाने में करवाई एफआईआर।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। कृषि अधिकारी (पौध सरंक्षण) सुभाष चंद्र ने कार्रवाई के बाद नोखा पुलिस थाने में मामले की एफआईआर दर्ज करवाई है। देर रात दर्ज मामले में नकली डीएपी के कारखाना के मालिक महावीर पुत्र बंशीलाल विश्नोई निवासी काकड़ा के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, उर्वरक नियंत्रण आदेश सहित धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए है। पुलिस ने मामले की जांच प्रारंभ कर दी है।
ऐसे करें पहचान, रमेश भाम्भू ने दी जानकारी
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स ने बीकानेर कृषि विभाग में अधिकारी रमेश भाम्भू से की विशेष बातचीत कर असली डीएपी व यूरिया की पहचान पर जानकारी प्राप्त की।
प्रश्न- नकली डीएपी के इस्तेमाल से किसान को नुकसान क्या होता है.?
उत्तर- नकली डीएपी अगर किसी ने सस्ती या सुलभ मिलने के कारण खरीद ली हो तो इससे केवल आर्थिक नुकसान होगा। ये मिट्टी की तरह ही है और मिट्टी में डालने से फसल को फायदा कुछ नहीं होगा।
प्रश्न- असली डीएपी का किसान पता कैसे लगाएं.?
उत्तर- किसान डीएपी के कुछ दाने हाथ में लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलने पर यदी उसमें से तेज गंध निकले जिसे सूघंना मुश्किल हो जाए तो समझे डीएपी असली है। कुछ दाने गर्म तवे पर रखे तो दाने फूल जाए तो ये डीएपी असली है। डीएपी के दाने कठोर, भूरे, बादामी रंग के होते है जो नाखून से नहीं टूटते है। वही यूरिया सफेद चमकदार व समान आकार के कड़े दाने जो पानी में पूर्णतया घुल जाते है और घोल को छूने पर शीतल अनुभूति होती है वह असली यूरिया है। यूरिया के दाने में भी गर्म तवे पर पिघल जाते है और आंच तेज करने पर इसका कोई अवशेष न बचे तो समझ ले ये यूरिया असली है।
प्रश्न- किसान क्या सावधानी बरतें.?
उत्तर- किसान थेले लेकर ट्रेक्टरों में घुमने वालों से डीएपी नहीं खरीद करें। किसानों को चाहिए कि वे डीएपी यूरिया केवल सरकार द्वारा अधिकृत विक्रेता से ही खरीदें। यदी किसी विश्वसनीय दुकान लेवें तो बिल जरूर लेवें। जिस दुकान पर पोस मशीन नहीं हो उस दुकान से खरीद नहीं करें क्योंकि केन्द्र सरकार ने डीएपी वितरण के लिए आधार कार्ड से एक सिस्टम तय कर रखा है जो पोस मशीन द्वारा प्रोसेस में आता है।
नामी ब्रांड के खाली कट्टे मिले, जिनमें भरा जा रहा था नकली डीएपी।