कब है होली.? ना रखें असमंजस, पढें अनेक शास्त्रों के कथानुसार विशेष आलेख।





श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 5 मार्च 2023। आज होली कब है.? का सवाल अनेक गांव व परिवार में गूंज रहा है। इस असमंजस को विशेषज्ञ पंडित विष्णुदत्त शास्त्री ने आमजन के लिए दूर करते हुए ये विशेष आलेख पाठकों के लिए उपलब्ध करवाया है। शास्त्री ने कहा कि होली के विषय में इस वर्ष अलग अलग भ्रांतियां फैली हुई है जिससे कारण आमजन को बहुत परेशानियां हो रही हैं की वो किसे माने और किसे नहीं माने। कैलेंडर व सोशल साइट्स में अलग अलग मत नजर आ रहें है। अनेक शास्त्रों के मतानुसार निष्कर्ष निकालते हुए बता रहें है कि 6 मार्च को ही होलिका दहन होगा। शास्त्री ने बताया कि हेमाद्रि, ज्योतिर्निबन्ध, मदनरत्न, भविष्य पुराण सहित नारद वाक्य अनुसार – “प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा। तस्यां भद्रा मुखं त्यक्त्वा पूज्या होला निशामुखे।।“
अर्थार्त- होलिका में फाल्गुन मास की पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी लेनी चाहिए। भद्रा के मुख काल को छोड़कर सायंकाल के समय होली का दहन पूजन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कश्यप संहिता के अनुसार भद्रा का मुखकाल प्रारंभ 5 घटी तक होता है अर्थात प्रारंभ के 2 घंटे तक होलिका दहन में त्याज्य है। इसके अनुसार होली कल 6 मार्च को तथा धुलंडी 7 मार्च को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि सायं 04:17 तक, पूर्णिमा तिथि सायं 04:17 से प्रारंभ, भद्रा सायं 04:17 से अगले दिन प्रातः 05:14 तक, भद्रा का मुखकाल सायं 04:17 से 06:17 तक होलिका दहन में त्याज्य।। प्रदोष काल प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा सायं 06:38 से 09:06 तक। होलिका दहन पूजन का समय 06 मार्च 2023 को सायं प्रदोष वेला में 6:38 से 09:06 तक करना श्रेष्ठ होगा। आप सभी पाठकों को होली की शुभकामनाएं।
इति शुभम