April 25, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 28 दिसम्बर 2019।छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक कोई भी योग के आसन और प्राणायाम कर खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकता है। नए साल में नई शुरुआत के साथ योग और प्राणायाम को अपनाकर एक स्वस्थ जीवन पाया जा सकता है। यहां जानें इन 7 योग आसन और 7 प्राणायाम के बारे में जिन्हें करने से शरीर कई तरह की समस्याओं से दूर रहता है।

नए साल में करें इन योगासनों को
अर्ध चन्द्रासन – शरीर को अर्ध चन्द्र के आकार में घुमाकर इस आसन को किया जाता है। खड़े रहकर करने वाला यह आसन पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है।
भुजंगासन – यह आसन करने से कमर की दिक्कतें दूर होती हैं। पीठ और मेरूदंड के लिए लाभकारी होता है। थायराइड से ग्रसित लोगों के लिए भी काम का है।
बालासन – रक्त संचार को सामान्य बनाने के लिए इस आसन को किया जाता है। यह तनाव दूर करने के लिए भी काम आता है।
गोमुखासन – योग की इस मुद्रा से शरीर को सुडौल बनाया जा सकता है। इसे बैठकर किया जाता है।
हलासन – यह आसन पेट के रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। रोज अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है।
सेतु बांध – पेट की मांसपेशियों और जांघों के लिए यह एक अच्छा आसन है। पेट कम करने के लिए और शरीर में उर्जा के संचार के लिए फायदेमंद है।
ताड़ासन – खड़े होकर करने वाले इस आसन में शरीर सुडौल रहता है और शरीर में संतुलन और दृढ़ता आती है।
इन प्राणायाम से होंगे फायदे
अनुलोम विलोम – यह नाड़ी शुद्धि प्राणायाम है। इससे शरीर की सम्पूर्ण नस नाड़ियां शुद्ध होती हैं। शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है। भूख बढ़ती है और रक्त शुद्ध होता है।
उज्जायी प्राणायाम – इस प्राणायाम को करने से तंत्रिका तंत्र और मन शांत होता है। अनिद्रा से छुटकारा, हाई बीपी वालों के लिए लाभप्रद है।
शीतली प्राणायाम – यह प्राणायाम शरीर और दिमाग को शीतलता प्रदान करता है। एसिडिटी की समस्या में फायदेमंद है। रक्तचाप कम करने में मदद करता है।
शीतकारी प्राणायाम – शरीर और मन को ठंडक देता है। शीतली प्राणायाम के काफी समान होता है लेकिन दोनों प्राणयाम भिन्न हैं। यह शरीर की मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
चंद्रभेदी प्राणायाम – इससे मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है। हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग इस प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। आंखों के धुंधलेपन से परेशान हैं तो उन्हें इसका नियमित अभ्यास करना चाहिए।
सूर्यभेदी प्राणायाम – इस प्राणायाम के अभ्यास से रक्त का शोधन होता है। शरीर के ताप को बढ़ाता है, रक्त के लाल कण अधिक मात्र में बढ़ते हैं। मस्तिष्क सम्बंधी रोग, अवसाद और पागलपन दूर होते हैं। साइनस, दमा, सर्दी और जुकाम में रामबाण का काम करता है। त्वचा रोग, मधुमेह में बहुत लाभकारी होता है। निम्न रक्तचाप, शीत सम्बंधित रोग दूर करता है।
कपालभाति – मस्तिष्क, हृदय, फेफड़े के रोग दूर होते हैं। कफ, दमा, श्वास रोगों में फायदेमंद है। मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त रोग दूर करता है।

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