श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 22 मई 2020। कृषक कल्याण शुल्क का चौतरफा विरोध देखते हुए सरकार ने एक कदम बैकफुट पर लेते हुए शुल्क में बड़ी राहत देने की घोषणा की है। व्यापारियों द्वारा शुल्क का भारी विरोध सरकार को दर्ज कराते हुए इसे किसान विरोधी बताया गया और इसे वापस लेने की मांग के साथ लंबा संघर्ष किया। गुरुवार देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्यापारियों से बैठकों के बाद इस शुल्क में सुधार किया है। मुख्यमंत्री के सुधार के आश्वाशन के बाद गुरुवार सुबह ही मंडी प्रांगण में व्यापार 15 दिनों की हड़ताल के बाद शुरू हुआ था। श्रीडूंगरगढ़ व्यापार मंडल संघ ने जबरदस्त एकता दिखाते हुए पुरजोर विरोध जयपुर तक दर्ज करवाया था। संघ के अध्यक्ष श्याम सुंदर पारीक ने गुरुवार को भी गहलोत को ट्वीट करते हुए इसमें आवश्यक रूप से सुधार की मांग को दोहराया था। गहलोत ने निर्देश दिए कि ज्वार, बाजरा, मक्का, जीरा, ईसबगोल, सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क पचास पैसा प्रति सैंकड़ा है उन पर कृषक कल्याण शुल्क भी दो रुपए प्रति सैंकड़ा के स्थान पर पचास पैसा प्रति सैंकड़ा प्रभारित किया जाएगा। तिलहन-दलहन, गेंहू सहित जिन कृषि जिंसों पर मंडी शुल्क एक रुपया व एक रुपया साठ पैसा प्रति सैंकड़ा है उन पर भी दो रुपए प्रति सैंकड़ा के स्थान पर एक रुपया प्रति सैंकड़ा प्रभारित किया जाएगा। तथा ऊन को कृषक कल्याण शुल्क से मुक्त किया गया है। गहलोत ने कहा कि कृषक कल्याण शुल्क के कारण उद्दोगों व व्यापारियों को होने वाली तकलीफ का एहसास राज्य सरकार को है। गहलोत ने कहा कि राज्य के व्यापारियों ने कोरोना काल मे कोई भूखा ना सोए के संकल्प को साकार करने में पूरी मदद की है। मंडी व्यापारियों के हित में फैसला लेते हुए सरकार ने प्रयास किया है कि प्रदेश में व्यापार को बढ़ावा मिले व ईमानदारी से व्यापार करने वालों को प्रोत्साहन मिले।