श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 4 जून 2021।
1.ताड़ासन में खड़े हो जाएं।
2. पैरों के मध्य लगभग आधा फ़ीट का अंतर रखें।
3. श्वास छोड़ते हुए और आगे की तरफ झुकते हुए पैर के अंगूठे को अंदर की तरफ से ऐसे पकड़ें कि दोनों हथेलियाँ आमने-सामने हो जाएँ।
4. सिर को सामने की तरफ़ रखें।
5. अब पैर की अंगुलियों में तनाव देते हुए घुटनों के बीच सिर रखें।
6.सामान्य श्वास-प्रश्वास करें और लगभग 5 से 10 सेकंड इसी स्थिति में रहें।
7.अब श्वास छोड़े। सिर ऊपर की ओर करें। पैर की अंगुलियों को छोड़कर ताड़ासन की स्थिति में आ जाएँ।
पादांगुष्ठासन की सावधानियाँ
1. गर्भवती महिलाओं को करने की सलाह नहीं दी जाती है।
2.यदि हाल ही में कोई सर्जरी या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें|
3.उच्च रक्तचाप, चक्कर आने और साइटिका की समस्या वाले इस आसन को न करें।
पादांगुष्ठासन से लाभ
1.जिनके पैर कांपते हों, वे इस आसन को अवश्य करें। जो साधक इस आसन को नियमित करता है उसके पैरों में सुन्न होना और कंपन आदि नहीं होता। 2.वायु निष्कासन करता है।
3.नितम्ब, कमर, मेरुदण्ड, पेट और सीना ये सभी आकर्षक बन जाते हैं।
4.पाचन-क्रिया ठीक करता है और मोटापा कम करता है।


