शर्मनाक व्यवस्था, पहले माल का उठाव नहीं तो अब बारदाना उपलब्ध नहीं। राजफेड की एक और नाकामी, किसानों के लिए सर्मथन मूल्य खरीद बनी बड़ी चुनौती।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 28 जून 2020। किसान कल्याण के लिए सरकारों के बड़े बड़े लक्ष्य एवं दावे भले ही किए गए हो लेकिन शर्मनाक व्यवस्था के कारण किसानों का कल्याण होना असंभव ही लग रहा है। ब्लॉक स्तर पर पूरे देश में सर्वाधिक उपज देने वाले श्रीडूंगरगढ़ के हजारों किसानों के लिए अपनी उपज सर्मथन मूल्य पर खरीद करवाने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की परेशानियों का कारण, खरीद करवा पाने में राजफेड की विफलताएं ही उभर कर सामने आ रही है। क्षेत्र के 8 खरीद केन्द्रों पर जहां पूर्व में खरीदे गए माल का राजफेड द्वारा वेयरहाऊसों में उठाव नहीं करवा पाने के कारण पांच दिनों तक खरीद बंद रही थी, वहीं अब तीन दिनों से ग्रामीण खरीद केन्द्रों पर बारदाने के अभाव में खरीद बंद पड़ी है। खरीद केन्द्रों पर बारदाना राजफेड को ही उपलब्ध करवाना था लेकिन बारदाना के अभाव में खरीद बंद हो जाने की स्तिथि बन जाना राजफेड के अधिकारियों की खरीद के प्रति उदासीनता जाहिर कर रहा है। क्षेत्र के किसानों में राजफेड के खिलाफ जम कर रोष व्याप्त है एवं वे खरीद केन्द्रों पर नारेबाजियां कर अपना रोष जता भी रहे है। लेकिन एसी आफिसों में बैठे राजफेड के अधिकारियों तक ना तो क्षेत्र के किसानों के आक्रोशित नारे पहुंच रहे है और ना ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा इस संबध में उठाई गई आवाज पहुंच पा रही है। हालत यह है कि सोमवार तक बारदाना नहीं पहुंचता है तो क्षेत्र के मुख्य खरीद केन्द्र श्रीडूंगरगढ़ में भी तुलवाई बंद हो जाएगी। यहां भी पूर्व में आए फटे हुए बारदाने को रफू करके काम चलाया जा रहा है।

माल तुल नहीं रहा और टोकन खारीज करने का आदेश भी जारी किया।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। किसानों को परेशान करने का इससे और अधिक बड़ा क्या प्रमाण होगा की एक और जहां खरीद बारदाने के अभाव में बंद पड़ी है वहीं दुसरी और राजफेड द्वारा जारी किए गए टोकनों को सात दिनों बाद खारीज करने के आदेश भी जारी कर दिए गए है। किसान अपनी उपज लेकर खरीद केन्द्रों के बाहर खड़े है। वहीं दुसरी और कागजों में यही दिखाया जाएगा कि किसान को उपज तुलवाने के लिए सात दिनों का समय दिया गया लेकिन किसान अपनी उपज तुलवाने लाया ही नहीं। ऐसी विरोधाभासी स्थिति के कारण क्षेत्र के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हो गए है। लाकडाउन के बाद बाजार भावों में आई मंदी के कारण किसान उपज बेचने में हो रहे घाटे को कम करने के सर्मथन मूल्य के खरीद केन्द्रों पर धूप, बारिश में कई कई दिनों तक खड़े रह रहे है लेकिन कोई भी अधिकारी, प्रशासन, सरकार इन किसानों की समस्याओं की और देख तक नहीं रही है। ये हालात निश्चित रूप से किसानों में बढ़ रहे रोष को और अधिक बढाने वाले साबित होगें।