May 13, 2024

कांग्रेस ने अचानक से तीन राज्यों गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र व दिल्ली के अपने संगठन में फेरबदल कर अगले आम चुनाव के लिए बिसात बिछानी आरम्भ कर दी है। प्रभारी भी बदले गये हैं। पार्टी अध्यक्ष कांग्रेस कार्यसमिति को भी अंतिम रूप देने में लग गये हैं। इन सबसे ये संदेश देने की कोशिश है कि पार्टी का आलाकमान अब कमजोर नहीं मजबूत है। पार्टी उन राज्यों पर विशेष फोकस कर रही है जहां गुटबाजी है, उस पर लगाम लगाने के लिए ही सांगठनिक बदलाव किए जा रहे हैं।
हिमाचल व कर्नाटक में हार के बाद अब भाजपा भी सतर्क हो गई है। उसने भी पांच राज्यों व अगले आम चुनाव के लिए अपनी बिसात बिछाने की तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है। राजस्थान, मध्यप्रदेश में पार्टी गुटबाजी का शिकार है। राजस्थान में तो नेताओं की आपसी टकराहट अभी तक कई प्रयासों के बाद भी दूर नहीं हो रही है। जिसके कारण गहलोत सरकार के खिलाफ भी भाजपा चुनाव नजदीक होने के बावजूद हमलावर नहीं हो पा रही है। पार्टी अध्यक्ष भी बदला गया मगर गति की उम्मीद पूरी नहीं हुई। वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया, गजेंद्र सिंह के बारे में भी अनिर्णय की स्थिति का असर संगठन पर पड़ रहा है। राजे की हर इलाके में पूरी पकड़ है, इसलिए उन पर निर्णय न होने से कार्यकर्ता असमंजस में है। भाजपा की इस कमजोरी का फायदा उठाकर सीएम गहलोत लगातार उस पर हमलावर है और सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। लगातार वोटर को लुभाने की घोषणा भी करते जा रहे हैं, जिसका तोड़ भी भाजपा नहीं कर पा रही है। कांग्रेस ने अपने नाराज नेता सचिन पायलट को भी काफी हद तक साध लिया है।
मध्यप्रदेश में भी सीएम शिवराज सिंह की एन्टीनकम्बेंसी का लाभ कांग्रेस उठाती जा रही है। दीपक जोशी, बजरंग सेना सहित अनेक नेताओं को कमलनाथ पाला बदलवा कांग्रेस में ला चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण भाजपा को एमपी में ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। मूल भाजपा व उनके गुट के मध्य कोई तालमेल ही नहीं बैठ रहा। जिसका फायदा दलबदल कराने में कमलनाथ व दिग्विजय सिंह उठा रहे है। भाजपा अपने में उलझी है और कांग्रेस चुनाव अभियान शुरू कर चुकी है।
अब भाजपा ने भी अपने सांगठनिक ढांचे में बदलाव की तैयारी की है। यदि जरूरी हुआ तो मंत्रिमंडल में भी फेरबदल किया जा सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर पदाधिकारियों में बदलाव की संभावना सभी मान रहे हैं। ठीक इसी तरह राज्यों के प्रभारी भी बदले जायेंगे।
भाजपा की पैनी नजर 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक पर भी है। क्योंकि इस बैठक में राहुल, खड़गे, नीतीश, लालू, केजरीवाल, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, वामपंथी नेता, उद्धव ठाकरे, स्टालिन, सोरेन आदि पहली बार एक साथ बैठेंगे। ये बड़ी राजनीतिक घटना है। इस बैठक के बाद ही भाजपा अपनी अगले आम चुनाव की रणनीति को तैयार करेगी। 23 के बाद देश की राजनीति में गति व बदलाव अब तय माना जा रहा है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार

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