श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 19 सितंबर 2021।
🚩श्री गणेशाय नम:🚩
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
📜 आज का पंचांग 📜
☀ 19 – Sep – 2021
☀ Sri Dungargarh, India
☀ पंचांग
🔅 तिथि चतुर्दशी 29:30:29
🔅 नक्षत्र शतभिषा 27:28:46
🔅 करण :
गर 17:43:01
वणिज 29:30:29
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग धृति 16:42:45
🔅 वार रविवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 06:20:36
🔅 चन्द्रोदय 17:57:59
🔅 चन्द्र राशि कुम्भ
🔅 चन्द्र वास पश्चिम
🔅 सूर्यास्त 18:34:44
🔅 चन्द्रास्त 29:26:59
🔅 ऋतु शरद
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1943 प्लव
🔅 कलि सम्वत 5123
🔅 दिन काल 12:14:08
🔅 विक्रम सम्वत 2078
🔅 मास अमांत भाद्रपद
🔅 मास पूर्णिमांत भाद्रपद
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित 12:03:12 – 12:52:08
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 16:56:51 – 17:45:48
🔅 कंटक 10:25:18 – 11:14:15
🔅 यमघण्ट 13:41:05 – 14:30:01
🔅 राहु काल 17:02:58 – 18:34:44
🔅 कुलिक 16:56:51 – 17:45:48
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 12:03:12 – 12:52:08
🔅 यमगण्ड 12:27:40 – 13:59:26
🔅 गुलिक काल 15:31:12 – 17:02:58
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल पश्चिम
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ
📜 चोघडिया 📜
🔅उद्वेग 06:20:36 – 07:52:22
🔅चल 07:52:22 – 09:24:08
🔅लाभ 09:24:08 – 10:55:54
🔅अमृत 10:55:54 – 12:27:40
🔅काल 12:27:40 – 13:59:26
🔅शुभ 13:59:26 – 15:31:12
🔅रोग 15:31:12 – 17:02:58
🔅उद्वेग 17:02:58 – 18:34:44
🔅शुभ 18:34:44 – 20:03:02
🔅अमृत 20:03:02 – 21:31:19
🔅चल 21:31:19 – 22:59:37
🔅रोग 22:59:37 – 24:27:54
🔅काल 24:27:54 – 25:56:12
🔅लाभ 25:56:12 – 27:24:29
🔅उद्वेग 27:24:29 – 28:52:47
🔅शुभ 28:52:47 – 30:21:04
❄️ लग्न तालिका ❄️
🔅 कन्या द्विस्वाभाव
शुरू: 06:14 AM समाप्त: 08:30 AM
🔅 तुला चर
शुरू: 08:30 AM समाप्त: 10:49 AM
🔅 वृश्चिक स्थिर
शुरू: 10:49 AM समाप्त: 01:08 PM
🔅 धनु द्विस्वाभाव
शुरू: 01:08 PM समाप्त: 03:12 PM
🔅 मकर चर
शुरू: 03:12 PM समाप्त: 04:55 PM
🔅 कुम्भ स्थिर
शुरू: 04:55 PM समाप्त: 06:23 PM
🔅 मीन द्विस्वाभाव
शुरू: 06:23 PM समाप्त: 07:49 PM
🔅 मेष चर
शुरू: 07:49 PM समाप्त: 09:25 PM
🔅 वृषभ स्थिर
शुरू: 09:25 PM समाप्त: 11:21 PM
🔅 मिथुन द्विस्वाभाव
शुरू: 11:21 PM समाप्त: अगले दिन 01:36 AM
🔅 कर्क चर
शुरू: अगले दिन 01:36 AM समाप्त: अगले दिन 03:56 AM
🔅 सिंह स्थिर
शुरू: अगले दिन 03:56 AM समाप्त: अगले दिन 06:14 AM
अनंत चतुर्दशी महत्व और पूजन विधि
अनंत चतुर्दशी को बहुत सी जगहों पर अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाए जाने वाले अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके उनकी प्रसन्नता बेहद ही आसानी से हासिल की जा सकती है। ऐसे में भारत के कई राज्यों में इस पर्व को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन बहुत से लोग उपवास करते हैं। बता दें कि इस दिन का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल की प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। जो कोई भी व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करता है और व्रत करता है उसके जीवन में धन-धान्य, सुख संपदा, संतान, खुशी, आदि हमेशा बनी रहती है।
इस दिन की पूजन विधि:
इस दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा में कलश की स्थापना करें। कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से बने अनंत की स्थापना करें। इसके बाद एक धागा लें और इसमें कुमकुम, केसर, हल्दी आदि रंग कर अनंत सूत्र तैयार कर लें। ध्यान रखें कि इस सूत्र में 14 गांठे होनी चाहिए। आप इसे भगवान विष्णु या अनंत के सामने रख दें। षोडशोपचार से पूजा करें और पूजा में इस मंत्र का जाप करें
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
इसके बाद रक्षा सूत्र को अपने हाथ में बांध लें।
गणेश विसर्जन उपाय
अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति या अपने जीवन से कोई भी कष्ट और परेशानियां दूर करने के लिए गणेश विसर्जन के दिन आप एक बेहद ही छोटा उपाय यह कर सकते हैं कि एक भोजपत्र में सबसे ऊपर एक स्वास्तिक बनाकर नीचे ‘ॐ गं गणपतये नमः’ लिख दें। इसके बाद नीचे अपनी सारी समस्याएं और मनोकामनाएं लिख दें। इस कागज़ को गंदा ना करें। अंत में अपना नाम लिखें और गणेश मंत्र लिख दें। सबसे आखिर में दोबारा स्वास्तिक बनाएं और इस कागज को मोड़कर एक रक्षा सूत्र से बांध से गणेश भगवान की प्रतिमा के साथ ही इस कागज़ के टुकड़े को भी विसर्जित कर दें। कहा जाता है ऐसा करने से आपकी सभी समस्याएं भी दूर हो जाएँगी और आपकी सारी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होंगी।
पण्डित विष्णुदत्त शास्त्री
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