





श्रीडूंगरगढ टाइम्स 8 जून 2020। मृत्युभोज को सामाजिक बुराई मानते हुए युवा पीढी अब इसके लिए एकजुट होकर इसे बंद करवाने में जुट गयी है। ये युवा मिलजुल कर इसे परिवार समाज से उखाड़ना चाहते है और इसके लिए वे सभी बुजुर्गों से समझाईश भी कर रहे है। रविवार को गांव कितासर भाटियान के पूरे गांव ने इसे कुरीति मानते हुए बंद करने घोषणा कि और आज गांव शेरुणा मे ,खियाणी भादू वंश के 40 परिवारों ने इसे बंद करने का निर्णय लिया है। इस वंश के परिवारों की बैठक आयोजित हुई जिसमें बुजुर्गों व युवाओं ने भाग लिया और सर्वसम्मति से मृत्युभोज को बन्द कर नुता, ओढावणी जैसी रस्मों को भी बंद कर दिया। युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए देवीलाल भादू ने टाइम्स को बताया कि परिवर्तन संसार का नियम है और समय के साथ परिवर्तन लाना आवश्यक भी है जिससे आज के समय में समाज ऐसी कुरीतियों को छोड़ कर ही विकास के पथ पर बढ सके। भादू ने कहा कि आज युवा पीढी इसे सामाजिक बुराई मानते है परन्तु बंद करने का साहस किसी एक का नहीं हो पाता है इसलिए आज खियाणी भादू वंश के 40 परिवारों ने एकसाथ ये निर्णय लेते हुए इस पर पूर्णतया रोक लगा दी है। बैठक में खियाणी परिवार के वंशज हजारीराम, नेनकराम, सुरजाराम, कानाराम, गोपालराम, लिछमणराम, मानाराम, सोहनराम, मामराज भादू उपस्थित रहे। सभी परिवारों के मूखियाओं ने इस बाबत एक संकल्प पत्र भरा जिसमें सभी ने हस्ताक्षर किए व इस कुरीति को मिटाने का प्रण लिया।