May 7, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 30 सितबंर 2020। आज की हथाई में एक गली की नुक्कड़ पर चर्चा सुनाई दी की आजकल बारानी खेतों में भी पेस्टीसाइड का प्रयोग क्षेत्र में बढ़ रहा है। रामजी जगदीशजी से कह रहें थे कि “के खा लेवां अब देशी खाणा में भी जहर आन लाग गयो है।” आज भी श्रीडूंगरगढ़ उपखंड क्षेत्र में बाजरा प्रिय और मुख्य खाद्य है। बाजरे में स्प्रे के छिड़काव की चर्चाओं ने आम नागरिक को भी परेशान कर दिया है। पंजाब से बीकानेर के महावीर कैंसर अस्पताल में आने वाले कैंसर पीड़ितों के कारण एक पूरी ट्रेन का नाम कैंसर ट्रेन यूंही नहीं पड़ा है। पंजाब में पेस्टीसाइड के प्रयोग के नतीजे दुनिया ने देख लिए वहीं सिक्किम जैसे छोटे से राज्य को पूर्णतया ऑर्गेनिक राज्य बनते भी लोगों ने देखा है। अब कोरोना के प्रभाव के समय में जरूरत है खानपान को लेकर जागरूकता की। कैंसर जैसी दर्दनाक बीमारी के लगातार बढ़ रहें मरीज अब हमारे क्षेत्र में भी चिंता का विषय बन रहें है। यहां पिछले तीन चार सालों पहले तक तो किसान बारानी फसलों में पेस्टीसाइड का प्रयोग नहीं कर रहें थे। अब तक शुद्ध माना जाने वाला बारानी खेतों का बाजरा, मोठ, मूंग भी अब पेस्टीसाईड मुक्त नहीं बच पा रहा है। हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में किसान यहां बारानी में स्प्रे का प्रयोग नहीं कर रहें है परन्तु इस बार ये चलन बढ़ता देखा गया है। बारानी के किसान भी अधिक ऊपज लेने के लिए पेस्टीसाइड का छिड़काव कर रहें है। कुछ जागरूक किसान कृषि कुओं पर भी होने वाली मूंगफली व चने, गेंहूं में भी पेस्टीसाइड का प्रयोग बंद कर केवल जैविक खाद से ही उत्पादन का प्रयास भी कर रहें है। उन्हें प्रोत्साहन की जरूरत है और अन्य किसानों को भी प्रेरणा की आवश्यकता है कि खाद्य पदार्थों में वे पेस्टिसाइड का प्रयोग ना करें और अन्य किसानों को भी नहीं करने को जागरूक करें। ताकि हमारे क्षेत्र के अनाज की गुणवत्ता कायम रखी जा सकें।

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