April 25, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 7 मई 2021।🚩श्री गणेशाय नम:🚩

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

📜 आज का पंचांग 📜

☀ 07 – May – 2021
☀ Sri Dungargarh, India

☀ पंचांग
🔅 तिथि  एकादशी  15:34:28
🔅 नक्षत्र  पूर्वाभाद्रपद  12:26:37
🔅 करण :
बालव  15:34:28
कौलव  28:25:49
🔅 पक्ष  कृष्ण
🔅 योग  वैधृति  19:28:45
🔅 वार  शुक्रवार

☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय  05:49:45
🔅 चन्द्रोदय  28:02:00
🔅 चन्द्र राशि  कुम्भ – 05:55:22 तक
🔅 चन्द्र वास पश्चिम – 05:55. तदुपरांत उत्तर
🔅 सूर्यास्त  19:11:39
🔅 चन्द्रास्त  15:24:59
🔅 ऋतु  ग्रीष्म

☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत  1943  प्लव
🔅 कलि सम्वत  5123
🔅 दिन काल  13:21:54
🔅 विक्रम सम्वत  2078
🔅 मास अमांत  चैत्र
🔅 मास पूर्णिमांत  वैशाख

☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित  12:03:58 – 12:57:26
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त :
08:30:08 – 09:23:35
12:57:26 – 13:50:53
🔅 कंटक  13:50:53 – 14:44:21
🔅 यमघण्ट  17:24:44 – 18:18:12
🔅 राहु काल  10:50:28 – 12:30:42
🔅 कुलिक  08:30:08 – 09:23:35
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  15:37:49 – 16:31:16
🔅 यमगण्ड  15:51:11 – 17:31:25
🔅 गुलिक काल  07:29:59 – 09:10:13
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल  पश्चिम

☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ

📜 चोघडिया 📜

🔅चल  05:49:45 –   07:29:59
🔅लाभ  07:29:59 –   09:10:13
🔅अमृत  09:10:13 –   10:50:28
🔅काल  10:50:28 –   12:30:42
🔅शुभ  12:30:42 –   14:10:56
🔅रोग  14:10:56 –   15:51:11
🔅उद्वेग  15:51:11 –   17:31:25
🔅चल  17:31:25 –   19:11:39
🔅रोग  19:11:39 –   20:31:20
🔅काल  20:31:20 –   21:51:00
🔅लाभ  21:51:00 –   23:10:40
🔅उद्वेग  23:10:40 –   24:30:20
🔅शुभ  24:30:20 –   25:50:00
🔅अमृत  25:50:00 –   27:09:40
🔅चल  27:09:40 –   28:29:20
🔅रोग  28:29:20 –   29:49:01

❄️लग्न तालिका❄️

🔅 मेष  चर
शुरू: 04:41 AM  समाप्त: 06:18 AM

🔅 वृषभ  स्थिर
शुरू: 06:18 AM  समाप्त: 08:14 AM

🔅 मिथुन  द्विस्वाभाव
शुरू: 08:14 AM  समाप्त: 10:28 AM

🔅 कर्क  चर
शुरू: 10:28 AM  समाप्त: 12:49 PM

🔅 सिंह  स्थिर
शुरू: 12:49 PM  समाप्त: 03:06 PM

🔅 कन्या  द्विस्वाभाव
शुरू: 03:06 PM  समाप्त: 05:22 PM

🔅 तुला  चर
शुरू: 05:22 PM  समाप्त: 07:41 PM

🔅 वृश्चिक  स्थिर
शुरू: 07:41 PM  समाप्त: 10:00 PM

🔅 धनु  द्विस्वाभाव
शुरू: 10:00 PM  समाप्त: अगले दिन 00:04 AM

🔅 मकर  चर
शुरू: अगले दिन 00:04 AM  समाप्त: अगले दिन 01:47 AM

🔅 कुम्भ  स्थिर
शुरू: अगले दिन 01:47 AM  समाप्त: अगले दिन 03:16 AM

🔅 मीन  द्विस्वाभाव
शुरू: अगले दिन 03:16 AM  समाप्त: अगले दिन 04:41 AM

विशेष – ❇️ बरूथिनि एकादशी ❇️

सनातन धर्म में वरुथिनी एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से जातक के समस्त दुख दूर हो जाते हैं। इस व्रत से प्राप्त फलों का सुख मनुष्य न सिर्फ पृथ्वी पर भोगता है बल्कि मृत्यु उपरांत परलोक में भी इस व्रत के फलों का सुख उसे मिलता रहता है। मान्यता है कि इस व्रत से सूर्य ग्रहण के दिन स्वर्ण दान करने इतना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन भगवान मधुसूदन की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को करोड़ों साल ध्यान करने इतना फल प्राप्त होता है। इस व्रत से मनुष्य को कन्यादान जैसे शुभ कार्य से भी ज्यादा फल प्राप्त होते हैं। यही वजह है कि वरुथिनी एकादशी का सनातन धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत ज्यादा महत्व है।वरुथिनी एकादशी व्रत के दौरान जातकों को कुछ चीजों का ध्यान रखना होता है जैसे कि इस दिन व्रत करने वाले जातक को पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इस दिन किसी भी मनुष्य की बुराई से बचना चाहिए। बुरे लोगों की संगत से खुद को दूर रखना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले जातक को तेल में तला हुआ कोई भी भोजन ग्रहण करने पर मनाही होती है। साथ ही शहद, चना और मसूर की दाल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन करना निषेध माना गया है। साथ ही इस दिन किसी दूसरे के द्वारा दिया गया भोजन भी नहीं करना चाहिए।

पं. विष्णुदत्त शास्त्री {8290814026}

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