श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 7 अक्टूबर 2021। 🚩श्री गणेशाय नम:🚩शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
📜 आज का पंचांग 📜
☀ 07 – Oct – 2021
☀ Sri Dungargarh, India
☀ पंचांग
🔅 तिथि प्रतिपदा 13:49:01
🔅 नक्षत्र चित्रा 21:13:38
🔅 करण :
बव 13:49:01
बालव 24:20:36
🔅 पक्ष शुक्ल
🔅 योग वैधृति 25:39:04
🔅 वार गुरूवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 06:29:33
🔅 चन्द्रोदय 07:09:00
🔅 चन्द्र राशि कन्या – 10:18:27 तक
🔅 चन्द्र वास दक्षिण प्रातः 10:18 तक
🔅 सूर्यास्त 18:13:52
🔅 चन्द्रास्त 19:02:00
🔅 ऋतु शरद
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1943 प्लव
🔅 कलि सम्वत 5123
🔅 दिन काल 11:44:17
🔅 विक्रम सम्वत 2078
🔅 मास अमांत आश्विन
🔅 मास पूर्णिमांत आश्विन
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित 11:58:14 – 12:45:11
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त :
10:24:19 – 11:11:17
15:06:03 – 15:53:00
🔅 कंटक 15:06:03 – 15:53:00
🔅 यमघण्ट 07:16:31 – 08:03:28
🔅 राहु काल 13:49:45 – 15:17:47
🔅 कुलिक 10:24:19 – 11:11:17
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 16:39:57 – 17:26:54
🔅 यमगण्ड 06:29:33 – 07:57:36
🔅 गुलिक काल 09:25:38 – 10:53:40
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल दक्षिण
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन
📜 चोघडिया 📜
🔅शुभ 06:29:33 – 07:57:36
🔅रोग 07:57:36 – 09:25:38
🔅उद्वेग 09:25:38 – 10:53:40
🔅चल 10:53:40 – 12:21:42
🔅लाभ 12:21:42 – 13:49:45
🔅अमृत 13:49:45 – 15:17:47
🔅काल 15:17:47 – 16:45:49
🔅शुभ 16:45:49 – 18:13:52
🔅अमृत 18:13:52 – 19:45:53
🔅चल 19:45:53 – 21:17:55
🔅रोग 21:17:55 – 22:49:57
🔅काल 22:49:57 – 24:21:58
🔅लाभ 24:21:58 – 25:54:00
🔅उद्वेग 25:54:00 – 27:26:02
🔅शुभ 27:26:02 – 28:58:04
🔅अमृत 28:58:04 – 30:30:05
❄️ लग्न तालिका❄️
🔅 कन्या द्विस्वाभाव
शुरू: 05:03 AM समाप्त: 07:19 AM
🔅 तुला चर
शुरू: 07:19 AM समाप्त: 09:38 AM
🔅 वृश्चिक स्थिर
शुरू: 09:38 AM समाप्त: 11:57 AM
🔅 धनु द्विस्वाभाव
शुरू: 11:57 AM समाप्त: 02:01 PM
🔅 मकर चर
शुरू: 02:01 PM समाप्त: 03:44 PM
🔅 कुम्भ स्थिर
शुरू: 03:44 PM समाप्त: 05:12 PM
🔅 मीन द्विस्वाभाव
शुरू: 05:12 PM समाप्त: 06:38 PM
🔅 मेष चर
शुरू: 06:38 PM समाप्त: 08:14 PM
🔅 वृषभ स्थिर
शुरू: 08:14 PM समाप्त: 10:10 PM
🔅 मिथुन द्विस्वाभाव
शुरू: 10:10 PM समाप्त: अगले दिन 00:25 AM
🔅 कर्क चर
शुरू: अगले दिन 00:25 AM समाप्त: अगले दिन 02:45 AM
🔅 सिंह स्थिर
शुरू: अगले दिन 02:45 AM समाप्त: अगले दिन 05:03 AM
घट स्थापना मुहूर्त – अभिजित 11:58:14 – 12:45:11
सबसे पहले बात करते हैं नवरात्रि के दौरान निभाई जाने वाले सांस्कृतिक परंपरा की। दरअसल नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि पूर्वक पूजा का विधान बताया गया है। नवरात्रि के पहले दिन घरों में कलश स्थापित करके दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। कलश स्थापित करने के अनुष्ठान को घटस्थापना कहा जाता है।
इसके अलावा इस दौरान देश के कई शक्तिपीठों में मेलों का भी आयोजन होता है। साथ ही भव्य झाकियाँ आदि भी नवरात्रि के दौरान निकाली जाती है। साथ ही नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग अपने घरों में और बहुत से मंदिरों में जागरण भी किया जाता है।
पौराणिक मान्यता की बात करें तो, कहा जाता है कि नवरात्रि के ही दौरान देवी शक्ति की कृपा से भगवान राम ने असुर रावण का वध और लोगों को इस बात का सन्देश दिया था कि झूठ और असत्य चाहे कितना भी बलवान क्यों न हो उसे सत्य के सामने हारना ही पड़ता है।
📜शारदीय नवरात्रि क्या करें क्या न करें 📜
यदि आप नवरात्रि में उपवास नहीं भी कर रहे हैं तो भी आपको संतुलित भोजन और सात्विक आहार ही करने की सलाह दी जाती है।
इस दौरान भूल से भी प्याज, लहसुन, शराब,मांस-मछली का सेवन न करें।
नवरात्रि के नौ दिनों में भूलकर भी कभी घर में लड़ाई, झगड़ा, कलह, कलेश इत्यादि न करें।
इस दौरान घर पर आये किसी भी महमान का अनादर भी न करें।
महिलाओं, बच्चियों का विशेषतौर पर सम्मान और उनसे प्रेम करें। जिस घर में महिलाओं का अनादर किया जाता है वहां न तो माता रानी आती हैं और न ही ऐसे व्यक्तियों की पूजा माता स्वीकार करती हैं।
नवरात्रि में साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
इस दौरान काले कपड़े और चमड़े की चीज़ें पहनने से भी बचें।
नवरात्रि भर दाढ़ी, बाल और नाखून कटवाए नहीं।
नवरात्रि में यदि आपने माता को अपने घर में आमंत्रित किया है तो दोनों समय नहाकर माता की पूजा करें।
मुमकिन हो तो नवरात्रि में कभी भी घर को अकेला न छोड़ कर जायें। अर्थात घर में ताला न लगायें।
इस दौरान भजन-कीर्तन, जगराता आदि करना भी आपको माता की प्रसन्नता और आशीर्वाद दिला सकता है।
🧆नवरात्रि के दिन के अनुसार भोग 🧆
नवरात्रि के कौन से दिन किस देवी को किस चीज़ का भोग लगाना विशेष फलदायी रहेगा।
पहले दिन माँ शैलपुत्री देवी को देसी घी अवश्य अर्पित करें।
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी को शक्कर, सफेद मिठाई, मिश्री और फल आदि अर्पित करें।
तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी को दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगायें।
चौथे दिन कुष्मांडा देवी को मालपुए का भोग अवश्य अर्पित करें।
पांचवें दिन स्कंदमाता देवी को केले का भोग अवश्य चढ़ाएं।
छठे दिन कात्यायनी माता को शहद का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है।
सातवें दिन कालरात्रि माता को गुड़ और गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग बनाना शुभ रहता है।
आठवें दिन माँ महागौरी को नारियल का भोग अवश्य लगायें।
नौवें दिन सिद्धिदात्री देवी को अनार और तिल का भोग लगाना शुभ रहता है।
अधिक जानकारी के लिए आप मैसेज कर सकते है
पण्डित विष्णुदत्त शास्त्री
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