श्रीडूंगरगढ टाइम्स 22 जुलाई 2020। आपने सदैव सुना है गुदड़ी का लाल अब बदलते समय के साथ अपनी कड़ी मेहनत से कहावतें ही बदलने वाली लाली भी सामने आ रही है। विषम परिस्थितयों में अपनी मेहनत से इस लाली सोनू ने वो कर दिखाया जिसका सपना सैंकडों विद्यार्थी देखते है। पूनियां सी.सै.स्कूल की विद्यार्थी सोनू ने विपरीत परिस्थितियों में बाहरवीं कक्षा में 96.60 अंकों के साथ जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। कक्षा 6 से स्कूल के प्रबधंक रामचंद्र पूनियां सोनू को निशुल्क शिक्षा दे रहे है। पूनियां ने बताया कि कड़ी मेहनत पर विश्वास रखने वाली सोनू ने कक्षा 10 में 92 प्रतिशत मार्क्स लाकर अपनी योग्यता को साबित किया। विद्यालय ने उन्हें सभी विषयों के व्याख्याताओं का मार्गदर्शन निशुल्क उपलब्ध करवाया और उसने पूरे जिले में गांव का नाम रोशन किया है। पूरा गांव आज बालिका को और परिजनों को बधाई दे रहा है। बालिका अपने गुरूजनों के प्रति श्रद्धानवत है और अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों, गुरूजनों सहित अपने सहपाठियों को भी दिया। सोनू ने टाइम्स को बताया कि रोजाना स्कूल के अतिरिक्त चार घंटे घर पर पढाई कर उसने ये सफलता हासिल की है।
प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना पर मजबूरियां आड़े आ रही है।
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। उम्र में कम जरूर है परन्तु सोनू को अपने कर्तव्यों का पूर्ण भान है और वो जल्दी ही अपने परिवार का सहारा भी बनना चाहती है। एक पुत्र की आस में सात बहनों के परिवार में सबसे बड़ी सोनू शीघ्र ही अपनी जिम्मेदारियों को उठाने में सक्षम बनना चाहती है और अपनी छोटी बहनों के लिए कुछ करना चाहती है। देराजसर की सोनू भादू साधारण किसान परिवार में जन्मी जहां छोटी बहनों का ख्याल रखने के साथ ही घर और खेती के कार्यों में भी परिवार का हाथ बंटाती है। उसका सपना तो प्रशासनिक अधिकारी बनने का है पारीवारिक स्थितियों के कारण तैयारी को पर्याप्त समय नहीं दे सकती और वो शीघ्र नौकरी के लिए बीएसटीसी करके ही नौकरी लग जाना चाहती है। जिससे वह आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें। आज क्षेत्र का प्रत्येक नागरिक सोनू के जज्बे से हौसला ले कर उसे सलाम कर रहा है।
क्या सोनू को तैयारी का हक नहीं…
श्रीडूंगरगढ टाइम्स। सोनू जैसी होनहार बालिकाऐं हमारे सामाजिक तानेबाने को समझती है और आगे क्या करना चाहती है पर सरल जवाब देती है कि प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बनना है परन्तु परिवार जो कहेगा वही करूंगी। लड़कियों की प्रगति के लिए आज भी समाज में दोहरे मापदंड है। आज भी अपनी प्रतिभा को पहचान देने के लिए उन्हें किसी भी लड़के से दोगुने प्रयास करने पड़ते है। सोनू जिले में प्रथम आने से खुश तो है पर मन में मसोस कर अपने प्रशासनिक अधिकारी बनने के सपने से समझोता करने को भी तैयार है। सात बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण सोनू को परिवार द्वारा शीघ्र ही आगे के घर भेज दिए जाने की चिंता है और आज के समय को देखते हुए पैरों पर खड़े होने की भी चिंता भी उतनी ही है। तैयारी में लगने वाले समय व धन को देखते हुए वह शीघ्र नौकरी पाना चाहती है जिससे जीवन में आर्थिक रूप से सक्षम हो सके।


