श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 7 जनवरी 2022। कहने को श्रीडूंगरगढ़ में सरकारी कन्या महाविद्यालय बन गया है परंतु हालात महाविद्यालय के किसी स्कूल से भी खराब है। प्रदेश में छात्राओं को घर के समीप ही बेहतर उच्च शिक्षा मुहैया करवाने के उद्देश्य से सरकार ने ग्रामीण अंचलों में सरकारी कॉलेज तो खोल दिए परंतु यहां शिक्षण की पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाना अभी दूर की कौड़ी है। कॉलेज में पहली बार में 200 सीटें स्वीकृत हुई और सभी सीटों पर प्रवेश भी हो गया है। आस पास के गांवो से युवतियां यहां पढ़ने आने लगी है और बिना कक्षाओं के परेशानी का अनुभव कर रही है। नव-निर्मित महाविद्यालय के पास खुद का भवन तो नहीं है यहां शिक्षक संख्या मात्र एक है। महाविद्यालय के सभी कार्य इन्ही के जिम्मे है। यहां कला वर्ग में सात विषय के सात पद स्वीकृत है और एक मात्र इतिहास की कक्षा लग पाती है। क्योंकि एक इतिहास के ही प्रोफेसर यहां पद पर कार्यरत है तथा अन्य कोई स्टॉफ नहीं है। यहां एक राजनीति विज्ञान की शिक्षिका की नियुक्त हो गई है परंतु वे अभी तक नहीं आई है। महाविद्यालय की छात्राओं ने युवा नेता डॉ. विवेक माचरा के साथ उपखंड अधिकारी के यहां जाकर ज्ञापन दिया व सभी विषयों की नियमित कक्षाओं का प्रबंध करवाने की बात कही। माचरा ने जिला कलेक्टर सहित शिक्षा मंत्री को पत्र भेंजे है और कहा कि बालिकाओं की शिक्षा के लिए समुचित व्यवस्थाएं होनी चाहिए। यहां कार्यरत एकमात्र स्टॉफ डॉ. चंद्रशेखर कच्छावा ने कहा कि हम प्रयास कर रहें है कि व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएं और शीघ्र ही यहां नई नियुक्तियां हो सकेगी। बता देवें पूर्व में छात्र संगठन एसएफआई ने भी यहां शिक्षक नियुक्ति की मांग करते हुए ज्ञापन दिया था। विधायक गिरधारीलाल महिया ने भी इस संबंध मे शिक्षा मंत्री को ज्ञापन देकर कन्या महाविद्यालय में शिक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग की थी।
विषय की व्यवस्था में सुधार पर ध्यान दिया जाए।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। श्रीडूंगरगढ़ कन्या महाविद्यालय में होमसांइस स्वीकृति नहीं है जबकि यहां इस विषय की मांग है और श्रीडूंगरगढ़ राजकीय महाविद्यालय में होमसाइंस सब्जेक्ट दिया गया है। कन्या महाविद्यालय में ज्योग्राफी दिया गया है जबकि इस विषय की मांग राजकीय महाविद्यालय के छात्र लगातार कर रहें है। दोनों ही महाविद्यालयों के नोडल अधिकारियों से विद्यार्थियों ने इसकी मांग की है और विषय व्यवस्था में सुधार की मांग की है।