May 18, 2024

विपक्ष की एकता को लेकर अपना सर्वस्व झोंक चुके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले आम चुनाव समय से पहले होने का बयान देकर राजनीतिक क्षेत्र में सनसनी पैदा कर दी है। सत्तारूढ़ भाजपा कुछ समझ ही नहीं पा रही और असमंजस में पड़ गई है। इसी कारण इस बात पर कुछ भी बयान देने से बच रही है।
नीतीश का ये बयान उस समय आया है जब एक सप्ताह बाद 23 जून को पटना में सभी विपक्षी दलों की बैठक हो रही है। उससे पहले इस तरह की बात कहना उनकी कूटनीति का हिस्सा है। विपक्षी दलों की ये बैठक पहले 12 जून को होनी थी मगर नेताओं की उपलब्धता न होने के कारण उसे टाला गया, भले ही भाजपा उसके दूसरे कारण बता रही हो। 23 की बैठक से पहले इस तरह का बयान खास मायने रखता है।
दरअसल नीतीश 12 की बैठक को लेकर दूध से जले हैं इसी कारण 23 की बैठक को लेकर छाछ भी फूंक फूंककर पी रहे है। कम मन वाले विपक्षी दल कोई बहाना न बना ले, या बड़े नेता न आकर अपनी दूसरी पंक्ति के नेता को न भेज दे, इससे बचने के लिए ये राजनीतिक तीर चलाया है। कांग्रेस के रुख को लेकर सभी विपक्षी दल हमेशा शंकित रहते हैं और उससे वाजिब दूरी भी रखना चाहते हैं, उनको व कांग्रेस को दूरी का बहाना न मिले इस वजह से ये बयान दिया लगता है।
नीतीश मानते हैं कि 23 की बैठक एकता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसमें मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल ने भी आने की हां की हुई है। ममता, शरद पंवार, अखिलेश, केजरीवाल भी हां भर चुके हैं। अगर बैठक होती है और ये सभी विपक्षी नेता आ जाते हैं तो बड़ा संदेश जायेगा, साथ विपक्षी दलों की बीच की दूरियां भी खत्म होगी, जो जरूरी है। ये सब होने पर ही भाजपा को कड़ी चुनोती दी जा सकेगी।
मगर कुछ राजनीतिक विश्लेषकों को नीतीश का ये बयान दूरदृष्टि के साथ कुछ तथ्य आधारित भी लगता है। क्योंकि हिमाचल, कर्नाटक हारने के बाद भाजपा आलाकमान चिंतित है। एमपी में स्थिति ठीक नहीं है और राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भी उसके लिए एकतरफा स्थिति नहीं है। तेलंगाना से वैसे भी उम्मीद कम है। महाराष्ट्र में भाजपा ने शिंदे को तोड़कर सरकार बनाई मगर अब काफी खटास दोनों के बीच है। शिंदे गुट के कई एमएलए नाराज है। दूसरे यहां महाअगाडी बिखरने के बजाय मजबूत हुआ है। मणिपुर में स्थिति सही नहीं है। इन हालातों के चलते चुनाव को लेकर कुछ भी निर्णय हो सकता है। बहरहाल नीतीश ने आम चुनाव समय से पहले होने का कहकर राजनीति में हलचल जरूर पैदा कर दी है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘

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