हिमाचल व कर्नाटक जीतने के बाद कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना को लेकर आक्रामक हो गई है। उसे मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में अपनी स्थिति बेहतर लग रही है तो वो मान रही है कि राजस्थान व तेलंगाना में भी अपर हैंड है। इसी कारण कांग्रेस ने अगले आम चुनाव को लेकर अभी से बिसात बिछानी आरम्भ कर दी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे खुद भले ही अधिक उम्र के हों मगर वे राष्ट्रीय संगठन का चेहरा युवा बनाने में लगे हुए हैं। जिसका असर सीडब्ल्यूसी के गठन में शीघ्र दिखाई देगा। राहुल के विदेश यात्रा से आने के बाद कांग्रेस की इस सर्वोच्च कमेटी का एलान शीघ्र कर दिया जायेगा।
पार्टी ने सीडब्ल्यूसी के गठन का अधिकार अध्यक्ष खड़गे को दे दिया था, मगर उनको नाम तय करने में ज्यादा समय लग रहा है। कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में ये तय किया गया था कि संगठन में युवाओं, महिलाओं व दलितों को निश्चित अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। बाद ने इसी बात को राहुल ने अनेकों जन सभाओं में दौहराया भी था। इसी कारण सभी वर्गों के नेता क्षेत्रवार ढूंढे गये हैं। अब लगभग सभी नाम तय है, बस सोनिया व राहुल से चर्चा होनी बाकी है।
सबसे पहले कांग्रेस इस सर्वोच्च कमेटी की घोषणा करेगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वर्षों से सीडब्ल्यूसी में जमे लोगों को इस बार बदला जायेगा। उनकी जगह युवाओं को लाया जायेगा। इसी कारण पुराने नेताओं में खलबली मची हुई है। खड़गे निर्णय लेने में सख्त भी है, इसलिए उनको प्रभावित कर जगह बनाना सम्भव भी नहीं। हाल फिलहाल पूर्व अध्यक्ष होने के नाते कमेटी में सोनिया व राहुल का होना सैद्धान्तिक रूप से तय है। इसलिए प्रियंका भी सदस्य बनेगी। कांग्रेस ने हाल ही में कुछ राज्यों में अध्यक्ष व प्रभारी बदल के संकेत दे दिया है कि बड़े बदलाव होंगे। अनेक राज्यों में बदलाव का असर पड़ेगा।
राहुल के विदेश से आने के बाद ताबड़तोड़ निर्णय होंगे। राजस्थान में भी सचिन व गहलोत के मध्य के विवाद का पटाक्षेप यानी समझौता फार्मूला उसके बाद ही स्पष्ट होगा। कांग्रेस संगठन में अभी की चुप्पी बड़े उलटफेर का संकेत है सांगठनिक स्तर पर।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार