जानें मत्स्यासन की सही विधि व फायदे राजू हीरावत के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 9 जून 2021।
इस आसन में शरीर मछली की मुद्रा बनाता है। ये आसन शरीर और मन में बैलेंस बनाता है ।

विधि
1.योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं, आपकी टांगें जुड़ी रहें, जबकि आपके हाथ आराम से शरीर से जुड़े रहें।
2.अपनी हथेलियों को हिप्स के नीचे लगाएं, हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी। अब कोहनियों को एक-दूसरे के करीब लाने की कोशिश करें। 3.कोहनियों की स्थिति कमर के पास होगी।
4.अपने पैरों की पालथी मार लें। जांघें और घुटने फर्श पर सपाट रहेंगे।
5.सांस खींचते हुए सीने को ऊपर की तरफ उठाएं। सिर भी ऊपर की तरफ उठाएं और सिर का ऊपरी हिस्सा जमीन को छूता रहेगा।
6.शरीर का पूरा वजन कोहनियों पर रहेगा न कि सिर पर।
7.जैसे-जैसे सीना उठेगा वैसे ही कंधों की मांसपेशियों पर हल्का दबाव पड़ेगा।
8.इस स्थिति में तभी तक रहें जब तक आप सहज अनुभव करते रहे। सांसों की गति सामान्य बनाए रहें।
9.सांस बाहर निकालें और पुरानी स्थिति में वापस लौटें।
10.सबसे पहले सिर को उठाएं और उसके बाद सीने को जमीन पर वापस लाएं। टांगों को सीधा करें और विश्राम करें।
मत्स्यासन के फायदे
1.इस आसन के अभ्यास से शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ जाता है।
2.मत्स्यासन सीने और गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है और कंधों, गर्दन की मांसपेशियों से टेंशन को मुक्त करता है।
3.ये सांस लेने के सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है। सांस की समस्याओं को दूर करने के लिए ये बेस्ट है।
4.मत्स्यासन के अभ्यास से पिट्यूटरी, पैराथायरॉयड और पीनल ग्लैंड्स भी टोन हो जाती हैं।
5.ये पीठ को स्ट्रेच करता है और उसे टोन करता है। इससे पीठ और कमर में दर्द की समस्या से राहत मिल सकती है।
6.ये हिप्स के जोड़ और मांसपेशियों को अच्छा स्ट्रेच देता है।
7.इसके नियमित अभ्यास से गर्दन के सामने और निचले पेट की मांसपेशियां एक्टिव हो जाती हैं।
9.इससे गले और पाचन अंगों को अच्छी मसाज मिलती है।
10.ये आसन पोश्चर सुधारने में भी मदद करता है।
सावधानियां
1.पेप्टिक अल्सर में इस आसन को करने से बचना चाहिए।
2.हर्निया वालों को यह आसन नहीं करनी चाहिए।
3.रीढ़ के किसी गंभीर रोग से ग्रस्त व्यक्तियों यह आसन नहीं करनी चाहिए।
4.अगर घुटने में ज्यादा दर्द हो तो इस आसन को करने से बचें।