May 19, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 3 जून 2021।
अधो मुख श्वानासन
अधो मुख श्वानासन साइनस संक्रमण को खत्म करने का एक शानदार तरीका है, जो सर्दी के कारण होने वाले किसी भी दबाव से राहत दिलाता है। ये आसन आपके पूरे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं को भी स्थानांतरित करता है जो संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं।
विधि
1. योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं। इसके बाद सांस खींचते हुए अपने पैरों और हाथों के बल शरीर को उठाएं और टेबल जैसी आकृति बनाएं।

2. सांस को बाहर निकालते हुए धीरे—धीरे हिप्स को ऊपर की तरफ उठाएं। अपनी कुहनियों और घुटनों को सख्त बनाए रखें। ये तय करें कि शरीर उल्टे ‘V’ के आकार में आ जाए।

3. इस आसन के अभ्यास के दौरान कंधे और हाथ एक सीध में रहें। जबकि पैर हिप्स की सीध में रहेंगे।

4. अब हाथों को नीचे जमीन की तरफ दबाएं। आपके कान आपके हाथों के भीतरी हिस्से को छूते रहें और अपनी निगाह को नाभि पर केन्द्रित करने की कोशिश करें।

5. इसी स्थिति में कुछ सेकेंड्स तक रुकें और उसके बाद घुटने जमीन पर टिका दें और मेज जैसी स्थिति में​ फिर से वापस आ जाएं।

सावधानियां
1. अधोमुख श्वानासन का अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाना चाहिए। लेकिन अगर आप शाम के वक्त ये आसन कर रहे हों तो जरूरी है कि आपने भोजन कम से कम 4 घण्टे पहले कर लिया हो।

2. ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आसन करने से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
3.निम्न समस्या वालों को यह आसन नहीं करना चाहिए-

1. कार्पल टनल सिंड्रोम (Carpal tunnel syndrome)

2. हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)

3. रेटिना में खराबी होने पर (A detached retina)

4. कंधा उखड़ने पर (A dislocated shoulder)

5. आंखों की केशिकाओं के कमजोर होने पर (Weak eye capillaries)

6. डायरिया होने पर (Diarrhea)
विज्ञान आधारित फायदे
1. अधोमुख श्वानासन में बनने वाली शरीर की स्थिति को अगर ठीक उल्टा किया जाए तो नौकासन बन जाता है। हम सभी जानते हैं कि नौकासन शरीर में पेट की निचली मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ ही रीढ़ को भी सहारा देता है। ये योगाभ्यास करने वालों को भी वैसे ही लाभ मिलते हैं। ये इन मांसपेशियों को मजबूत बनाने और खिंचाव पैदा करने में मदद करता है।

2. इस बात की तरफ शायद ही आपका ध्यान जाए। लेकिन अधोमुख श्वानासन में सिर दिल से नीचे की तरफ होता है जबकि आपके हिप्स ऊपर की तरफ उठे हुए होते हैं। इस आसन के अभ्यास से गुरुत्व बल की मदद से सिर की ओर नए रक्त की आपूर्ति बढ़ती है। इसीलिए ये आसन रक्त संचार बढ़ाने में मदद कर पाता है।

3. अधोमुख श्वानासन में भले ही शरीर पूरी तरह से न मुड़ता हो, लेकिन फिर भी इस आसन से शरीर के भीतरी अंगों को अच्छी मसाज मिलती है। टांगें मुड़ने के कारण हमारे पाचन तंत्र पर दबाव बढ़ता है। इस आसन से प्रभावित होने वाले अंगों में लीवर, किडनी और स्पलीन या तिल्ली शामिल हैं।

4. जब आप अधोमुख श्वानासन का अभ्यास करते हैं उस वक्त आपके शरीर का वजन पूरी तरह से हाथों और पैरों पर होता है। इससे इन दोनों अंगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और वह शरीर का सही संतुलन बनाने में मदद करती हैं।

5. ये आसन आपको रिलेक्स रहने में मदद करता है और दिमाग को शांति प्रदान करता है। अधोमुख श्वानासन एंग्जाइटी से लड़ने में भी बहुत मददगार साबित हो सकता है। इस आसन के अभ्यास के गर्दन और सर्विकल स्पाइन में खिंचाव पड़ता है। ये स्ट्रेस को दूर करने में काफी मदद करता है।
(इस बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें योग एंड मेडिटेशन स्पेसलिस्ट राजू हीरावत से 9414587266 व्हाट्सएप नम्बर पर)

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